नई दिल्ली। सरकार के कामकाज में तेजी लाने के लिहाज से निजी क्षेत्र में सालों से काम कर रहे विशेषज्ञों को मोदी सरकार सीधे सचिव स्तर पर नियुक्ति दे रही है. इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में तीन संयुक्त सचिवों के अलावा 22 निदेशकों और उप सचिवों की नियुक्ति को मंजूरी दी है. इसे भी पढ़ें : बीजापुर में भाजपा नेता की हत्या को उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया ‘कायराना’, कहा- चुनाव के मद्देनजर भय पैदा करने की जा रही हैं ऐसी घटनाएं…

आमतौर पर संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद अखिल भारतीय सेवाओं – भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) – और अन्य समूह ए के अधिकारियों के लिए रखे जाते हैं. इन स्तरों पर अधिकारी नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की भी योग्यता का इस्तेमाल करने के उद्देश्य से सीधे नियुक्ति दे रही है. इसकी शुरुआत 2018 में हुई, जब कार्मिक मंत्रालय ने पहली बार लेटरल एंट्री स्कीम के तहत 10 संयुक्त सचिव-रैंक पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. इसके बाद संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर पर भर्तियां की गई.

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अधिकारियों ने बताया कि पदों के लिए भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा की गई थी. आयोग ने अक्टूबर 2021 में फिर से विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों में 3 संयुक्त सचिव, 19 निदेशक, और 9 उप सचिव के रूप में नियुक्ति के लिए 31 उम्मीदवारों की सिफारिश की थी. अब तक कुल 38 निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ – जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 28 निदेशक और उप सचिव शामिल हैं – सरकार में शामिल हुए हैं.

वर्तमान में, आठ संयुक्त सचिवों, 16 निदेशकों और नौ उप सचिवों सहित 33 ऐसे विशेषज्ञ हैं, जो प्रमुख सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं, अधिकारियों ने बताया कि दो संयुक्त सचिवों ने अपना पूरा तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. लेटरल एंट्री स्कीम के तहत निजी क्षेत्र या राज्य सरकार या स्वायत्त निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि से डोमेन विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले पदों पर भर्तियां की जाती हैं.

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