कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में अपना मेहनताना पाने के लिए कुछ लोग दर दर भटक रहे हैं. यहां कोविड-19 के दौरान ठेके पर रेलवे अस्पताल में कई लोगों को भर्ती किया गया. कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि हर महीने 15 हजार रुपए इन्हें भर्ती किया था, लेकिन सिर्फ एक बार में 8 हजार देकर चलता कर दिया गया.

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दरअसल, इन लोगों को कोरोना काल में रेलवे अस्पताल में ठेके पर भर्ती कराया गया था. जिसके बदले इनको हर महीने 15 हजार रुपए मेहनताना देने की बात की गई थी, लेकिन इनका आरोप है कि सिर्फ एक बार 8000 देकर चलता कर दिया गया. जिसके बाद इन लोगों को किसी तरह की कोई सैलरी नहीं दी गई. कई लोग तो ऐसे हैं जिनको एक रुपये भी नहीं मिले. अपना वेतन पाने के लिए यह लोग कभी अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं तो, कभी ठेकेदार के, लेकिन ठेकेदार इनसे बात करने को तैयार नही है.

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मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने ठेकेदार को पेमेंट कर दी है. लिहाजा इस मामले में वह कुछ भी नहीं कर सकते. अब पीड़ित लोग अपना मेहनताना पाने के लिए ऑफिसों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. आज गुरुवार को इसी कड़ी में इन लोगों ने अस्पताल प्रबंधन को एक शिकायत पत्र भी दिया है. जिसमें अपने मेहनताना के भुगतान करने की मांग की है.

रेलवे अस्पताल ने कराई थी भर्ती, अब झाड़ा पल्ला

इनका कहना है कि इन लोगों की भर्ती रेलवे ने करवाई थी, लेकिन अब सैलरी देने की बात आई तो ठेकेदार को आगे कर रहे हैं. जब ये लोग ठेकेदार को फोन करते हैं तो ठकेदार इनका फ़ोन भी नहीं उठाता. मैसेज करते हैं तो, ठेकेदार इनके मैसेज का जवाब भी नहीं देता.

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1 साल का ठेका कहकर 3 महीने में कर दिया बाहर

पीड़ितों का आरोप है कि जब इन लोगों की नर्सिंग स्टाफ के तौर पर जॉइनिंग हुई थी. 3 महीने से कहा गया था कि 1 साल का ठेका है. आपको 1 साल तक राम करना है, लेकिन इन लोगों को 3 महीने में ही बिना वेतन दिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

चिराग सिक्योरटी कंपनी के नाम से की थी भर्ती

इनका कहना है कि चिराग सिक्योरिटी नाम की एक कंपनी के नाम पर इन लोगों की भर्ती की गई, लेकिन अब न तो कंपनी का पता है और ना ही ठेकदार का.

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