जांजगीर-चांपा। जिले में मलेरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग कितना सजग है, वो इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाई रिस्क में 66 गांवों के आने के बावजूद यहां अब तक मच्छरदानी नहीं बांटे गए हैं. बता दें कि बलौदा, सक्ती, मालखरौदा जैसे इलाके मलेरिया से पीड़ित हैं और हर साल कई लोग इसके कारण असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं.
इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 10 दिनों में मच्छरदानी आने की बात कह रहे हैं. अब सवाल ये है कि बारिश का सीजन जब 2 महीने पहले ही शुरू हो चुका है, तो अब तक मच्छरदानी क्यों नहीं बांटी गईं.
गौरतलब है कि बलौदा के अमझर और उच्चभिट्ठी गांव के अलावा भी कई ऐसे गांव हैं, जो मलेरिया से सालोंभर पीड़ित रहते हैं. ऊपर से लोगों की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा मलेरिया के इलाज में ही खर्च हो जाता है. स्वास्थ्य विभाग दवा बांटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है. इधर बारिश में गांवों में पानी भरा हुआ होता है. जिसके कारण भी मच्छर फैलते हैं.
ऊपर से सड़क नहीं होने से मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है. मरीजों को खाट से मोहल्ले से बाहर लाना पड़ता है क्योंकि अंदरूनी इलाकों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य अमला उनकी सुध नहीं लेता, वहीं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ एमडी तेंदवे का कहना है कि विभाग में मलेरिया को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है और दवाओं का स्प्रे किया गया है.