(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
बड़ी तैयारी थी इसलिए नहीं दे रहे थे छोटी जिम्मेदारी
मामला मध्य प्रदेश के आदिवासी वर्ग से जुड़ा है। जहां केंद्रीय मंत्री रहे पार्टी के एक नेता को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रदेश में मंत्री रह चुके दूसरे आदिवासी नेता बैचेन हो उठे थे। नेताजी ने न सिर्फ प्रदेश के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर आपत्ति दर्ज कराई बल्कि दिल्ली तक कई मर्तबा फोन घन-घना दिए थे। नेताजी कहते फिर रहे थे कि बड़ी नहीं तो छोटी ही जिम्मेदारी दे दें। लेकिन कम से कम जिम्मेदारी तो दे दें, लेकिन अचानक दिल्ली की लिस्ट जारी हुई तो नेताजी के होश उड़ गए। उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि कांग्रेस उनका इतना सम्मान करेगी कि उनकी गिनती प्रदेश के अब तक के चौथे नेता के रूप में होगी। फिलहाल नेताजी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है और उन्हें अब समझ आ रहा है कि छोटी जिम्मेदारी क्यों नहीं मिली थी।
पता नहीं… निर्वाचन के समय क्या होगा
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ भारत निर्वाचन आयोग की टीम तीन दिन तक मध्य प्रदेश में रही। आयोग तीनों दिन पूरे समय सक्रीय रहा। तमाम बैठकें की तो राजधानी की सड़क पर उतरकर मतदाताओं से अधिक मतदान की अपील भी की। आयोग ने जितना कामकाज प्रदेश में रहकर किया उतना मीडिया में नजर नहीं आ सका। निर्वाचन की तैयारी कर और दिशा-निर्देश जारी कर आयोग वापस दिल्ली रवाना हुआ। तब मीडिया में उचित स्थान नहीं मिलने को लेकर समीक्षा हुई। निर्वाचन से जुड़े कई लोग कहते हुए नजर आ रहे हैं आगे भी ऐसा ही रहा तो पता नहीं निर्वाचन के समय क्या होगा।
फर्नीचर में लगी घुन से कर्मचारी परेशान
मामला मध्य प्रदेश के एक प्रमुख राजनैतिक दल के कार्यालय का है। जहां फर्नीचर में लगी घुन से कर्मचारी महीनेभर से परेशान हो रहे हैं। बड़े नेताओं की आपत्ति के बाद आनन-फानन में घुन लगने का कारण तलाशा गया और तुरंत उसका ट्रीटमेंट कराया गया। लेकिन 15 दिन बाद सफाई के दौरान कर्मचारियों को फिर घुन दिखाई दिया। घुन के खात्मे के दोबारा इंतजाम किए गए, लेकिन दूसरी बार का प्रयास भी असफल रहा। फिर घुन दिखा तो शिकायत आला नेताओं तक पहुंच गई। कर्मचारी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि अब घुन तो तभी दूर होगा जब फर्नीचर बदला जाएगा।
मीडिया पैनल से परेशान व्यवस्था संचालक
किस मुददे पर और किस मीडिया हाउस में कौन पक्ष रखेगा। मध्य प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों ने इसकी काफी पहले से व्यवस्था करके रखी है। लेकिन प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल में व्यवस्था संचालक कुछ दिनों से परेशान नजर आ रहे हैं। कारण है कई दिनों से कुछ वक्तागणों ने व्यवस्था संचालक को सूचना देना बंद कर दिया है। व्यवस्था संचालक को जानकारी ही तब लग पाती है जब प्रवक्तागण मीडिया हाउस में जाकर पार्टी की ओर से पक्ष रख कर आ चुके होते हैं।
चर्चा जोरों पर है
एक कहावत है बच्चों की दोस्ती जी का जंजाल यही दिग्विजय सिंह के साथ हुआ। दिग्विजय सिंह ने एक चैनल का वीडियो अपने सोशल मीडिया पर डाला जिसके अंदर यह बताया जा रहा था कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ आ रही है, लेकिन वो वीडियो फर्जी निकला। अंदर की खबर है कि दिग्विजय सिंह को यह वीडियो राघोगढ़ के एक युवक ने भेजा था। जिसको जाने परखे दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिससे उनकी फजीहत करवा दी। चर्चा जोरों पर है इस पूरे मामले पर बीजेपी दिग्विजय सिंह के खिलाफ फिर मामला दर्ज करने की तैयारी में है।
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