रायपुर. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ऐसा नेता हैं जिनकी तारीफ पक्ष ही नहीं उनके राजनीतिक विरोधी भी करते हैं. उनकी मीठी वाणी के सब दीवाने हैं. कविताओं के शौकीन अटल बिहारी वाजपेयी खाने के भी शौकीन रहे हैं. अटल जी को ग्वालियर के बहादुरा के बूंदी के लड्डू और दौलतगंज की मंगौड़ी बेहद पसंद हैं. लजीज खाने से उनका हमेशा खासा लगाव रहा है.   

अटल जी के पिता एक शिक्षक थे. लेकिन उन्होंने राजनीति में अपना करियर बनाया. राजनीति में वह देश से लेकर विदेशों तक के दौरों पर रहे लेकिन कभी ग्वारियर के पकवानों का स्वाद नहीं भूले. और जब भी समय मिला वह यहां आकर अपनी पसंदीदा चीजों का स्वाद चखते रहे.अटल बिहारी वाजपेयी जी को शाकाहारी की जगह मांसाहारी खाना ज्यादा पसंद है. नॉन वेजीटेरियन व्यंजनों में उन्हें झींगा मछली ज्यादा पसंद है. अक्सर वे प्रॉन की डिश खाते थे. मदिरापान को लेकर भी कभी उन्होंने कुछ छिपाया नहीं. अटल जी भांग का सेवन भी करते थे. उनके लिए स्पेशली उज्जैन से भांग आती थी.   वह मिठाई के भी दीवाने हैं. जब भी अटल जी ग्वालियर जाते तो बूंदी के लड्डू खाना नहीं भूलते थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह ग्वालियर जाते रहते थे. जहां वह लड्डू, जलेबी, कचौड़ी सबका सेवन करते थे. होली पर भी जब तक वह ठंडई का सेवन न कर लें तब तक उनकी होली पूरी नहीं होती थी. ठंडई से उनका खासा लगाव था. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर कहते हैं कि जब वो नेता प्रतिपक्ष थे तो एक बार वह इंदौर से उज्जैन कार से आए. उसके बाद वह उन्हें लेकर गोपाल मंदिर गए. अटल जी ने कहा कि मंदिर तांगे से चलेंगे कार से नहीं. फिर अटल जी ने कहा कि तीन गिलास भांग का घोंटा ले आओ. उन्होंने कहा कि दो गिलास मैं पियूंगा और एक गिलास तुम पीना. साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे गिलास में बादाम किशमिश भी डाल देना. उन्होंने कहा कि वह ऐसे इंसान हैं कि उनसे कैसी भी मजाक कर लो तो बुरा नहीं मानते हैं. अटल जी बहुत खुले दिल के आदमी हैं.