वाराणसी. काशी पहुंचे एक्टर नाना पाटेकर ने बनारस पर अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि 35 साल बाद के बनारस को देखने के लिए उत्साहित हूं. समय नहीं मिलने के कारण अभी देख नहीं पाया हूं. जैसे ही शूटिंग पूरी होगी सबसे पहले बनारस देखूंगा. ये बातें शुक्रवार को कैंटोंमेंट के होटल में अभिनेता नाना पाटेकर ने कहीं. 35 साल पहले शूटिंग के लिए आया था. तब बनारस घूमने का मौका मिला था. उन्होंने कहा कि मेरी फिल्म जर्नी की शुरुआत बनारस से हो रही है. बाबा काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद और दर्शकों का प्यार मिलेगा, पूरी उम्मीद है.

नाना ने कहा कि ओटीटी कलाकारों के एक अच्छा प्लेटफॉर्म है. इससे नए कलाकारों को अवसर मिल रहा है. पहले लोगों में फिल्मों को लेकर अलग उत्साह रहता था, लेकिन अभी लोगों के पास समय कम है. हालांकि, अच्छी फिल्में बनाई जाए तो लोग हॉल देखने जाते हैं. नाना पाटेकर से सवाल पूछा गया कि फिल्मों में देसी पन परोसने के चक्कर में गालियों का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है.
इस पर उन्होंने कहा कि पहले होता था, लेकिन अभी गालियों का प्रयोग कम हुआ है.

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50 साल के कॅरियर के बाद यह कह सकता हूं कि कलाकार की ताकत उसकी आंखें और हावभाव से दिखनी चाहिए. गालियों के प्रयोग से नहीं. नाना पाटेकर सवाल पूछा गया कि कई ऐसी फिल्में बनी है जिससे एक धर्म विशेष पर प्रहार किया है. कहा कि यह दर्शक समझ सकते हैं. फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा कि फिल्म जर्नी थोड़े आंसू और खुशियों पर आधारित है. फिल्म में घर से तीर्थ तक के यात्रा की कहानी है.