पवन राय, मंडला। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के गर्भगृह में लगने वाला मार्बल मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला से जा रहा है। जिला मुख्यालय के पास ग्राम फूलसागर में स्थित मृदुकिशोर इंडस्ट्रीज से कटिंग किया हुआ मार्बल पहले राजस्थान और दिल्ली जाता है। जहां कारीगिरी के बाद अयोध्या पहुंचाया जाता है। इस मार्बल का उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में किया जा रहा है।
इसकी जानकारी स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मिली तो वे मृदुकिशोर इंडस्ट्रीज पहुंचे। जहां उन्होंने संचालकों से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने पत्थरों का पूजन भी किया। उन्होंने मंडला के पत्थरों का उपयोग राम मंदिर के गर्भगृह में होने पर इसे मंडला वासियों के सौभाग्य और गौरव का विषय बताया।
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मृदु किशोर इंडस्ट्रीज के संचालक किशोर कल्पिवार ने बताया कि राम मंदिर के निर्माण में लगे टाटा ग्रुप एवं एलएंडटी को मंदिर के गर्भगृह के लिए मंडला से मार्बल भेजा जा रहा है। उनके अनुमान के अनुसार, मंदिर में दर्शन के लिए एक दिन में 4 से 5 लाख लोग आएंगे। इतने लोगों के आने-जाने की वजह से मंदिर में कम मेंटेनेंस और उच्च गुणवत्ता के मार्बल की आवश्यकता थी।
संचालक ने बताया कि इसके लिए निर्माण कंपनी द्वारा उनकी इंडस्ट्री के मार्बल का कई स्तरों में परीक्षण किया। इन परीक्षणों में खरा उतरने के बाद मंदिर के लिए मार्बल भेजे जाने का आर्डर मिला है। महरून और गोल्डन मार्बल मंदिर के लिए चयनित हुआ है। यह मार्बल मृदुकिशोर ग्रुप की मंडला, जबलपुर और सीधी स्थित माइंस से निकल रहा है।
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मंडला से भेजे जा रहे मार्बल का उपयोग मकराना के सफेद मार्बल के बीच अलग-अलग कॉम्बिनेशन में महरून, गोल्डन रंग के फूल आदि बनाने में हो रहा है। मंडला से इन मार्बल को सबसे पहले मकराना राजस्थान और दिल्ली भेजा जाता है। जहां इन पत्थरों पर कारीगरी के बाद इन्हें अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर पहुंचाया जाता है।
कल्पिवार ने बताया कि नर्मदा तट में स्थित गोंडवाना बैल्ट सबसे पुराना भूभाग कहलाता है। ज्वालामुखी आदि के कारण यहां बहुत सारे भौगोलिक परिवर्तन हुए। उसके कारण ये लावा स्टोन में परिवर्तित हो गए। ये प्राचीन आग्नेय चट्टानें कहलाती हैं। इसमें आने वाले रंग प्राकृतिक रूप से मेटल के कारण होते हैं। उन्होंने बताया कि कोई निश्चित मात्रा तो नहीं बताई गई है। जैसे आवश्यकता होती है उसके अनुसार मार्बल भेजा जा रहा है।
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