दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन की देखरेख करने वाले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था. वहीं, हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 30 नवंबर 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की याचिका को स्वीकार कर लिया.

हालांकि हाई कोर्ट ने कहा है कि आरटीआई दायर करने वाले आवेदन में मांगी गई है. जानकारी प्राप्त करने के लिए आयकर अधिनियम के तहत उचित ऑथोरिटी से संपर्क कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 30 नवंबर 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की याचिका को स्वीकार कर लिया.

आरटीआई आवेदक ने अपने दान के लिए प्रासंगिक प्रावधानों के तहत छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा दायर सभी अनुबंधों के साथ पूर्ण आवेदन की एक प्रति मांगी थी. उन्होंने ट्रस्ट डीड की एक प्रति भी मांगी थी जो दान के लिए छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए आवेदन के साथ दायर की गई थी. प्रारंभ में, सीबीडीटी के सीपीआईओ से जानकारी मांगी गई थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था. इसके बाद सीबीडीटी के अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पहली अपील दायर की गई, जिसने भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन में मांगी गई. जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदक कैलाश चंद्र मूंदड़ा के लिए आयकर अधिनियम के तहत उचित प्राधिकारी से संपर्क करना हमेशा खुला है. हाईकोर्ट सीबीडीटी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सीआईसी के 30 नवंबर 2022 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी. इसमें निर्देश दिया गया था कि सीपीआईओ आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन में दिए गए कुछ बिंदुओं पर फिर से विचार करेगा.

इसके बाद आरटीआई आवेदक ने दूसरी अपील के साथ सीआईसी से संपर्क किया, जिसने सीबीडीटी के सीपीआईओ और अपीलीय प्राधिकारी के निष्कर्षों को पलट दिया और 30 नवंबर, 2022 का आदेश पारित किया. सीबीडीटी के वकील ने हाईकोर्ट से कहा क‍ि आयकर अधिनियम की धारा 138(1)(बी) के मद्देनजर किसी करदाता के बारे में जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं दी जा सकती है. उन्होंने 22 जनवरी को हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला द‍िया जिसमें कोर्ट ने सीआईसी के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें आयकर विभाग को आरटीआई अधिनियम के तहत पीएम केयर्स फंड को दी गई कर छूट के संबंध में विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.