सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल ने निर्वाचन क्षेत्र की बहुत सी मशीनों के नंबर बदले जाने का आरोप लगाया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जवाब में ईवीएम की संख्या में कथित विसंगतियों को तथ्यों पर आधारित नहीं होने की बात कहते हुए आरोपों को निराधार बताया है. इसे भी पढ़ें : CG Election Results 2024 : इंतजार हुआ खत्म, पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ 11 लोकसभा क्षेत्रों में शुरू हुई मतगणना, कुछ ही देर में मिलने लगेंगे शुरुआती रुझान…
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया में किए कहा कि मेरे चुनाव क्षेत्र राजनादगांव मतदान के बाद फ़ॉर्म 17सी में जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार बहुत सी मशीनों के नंबर बदल गए हैं. जिन बूथों पर नंबर बदले हैं उससे हज़ारों वोट प्रभावित होते हैं. और भी कई लोकसभा क्षेत्रों में यही शिकायतें मिली हैं, हम राज्य निर्वाचन पदाधिकारी से शिकायत कर रहे हैं. चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए कि किन परिस्थितियों में मशीनें बदली गई हैं, और चुनाव परिणाम पर होने वाले असर के लिए कौन ज़िम्मेदार होगा?
इस पर छत्तीसगढ़ की मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से दिए गए जवाब में कहा कि राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार के साथ साझा की गई ईवीएम की संख्या में कथित विसंगति तथ्यों पर आधारित नहीं है. चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गई ईवीएम, निर्वाचन अधिकारी द्वारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के साथ रैंडमाइजेशन के बाद साझा की गई मशीनों की सूची के अनुसार ही हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्री के पोस्ट का सोशल मीडिया में ही जवाब देते हुए कहा कि चुनाव और मॉक पोल के दौरान कुछ यांत्रिक/तकनीकी दोषों के कारण बदली गई मशीनों की सूची भी उम्मीदवारों के साथ साझा की गई है. इसके अलावा, मतदान एजेंटों ने मतदान शुरू होने से पहले ईवीएम को सील करने के लिए इस्तेमाल किए गए पेपर सील पर हस्ताक्षर किए हैं. मतदान के अगले दिन स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में जांच के दौरान, चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार द्वारा ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठाया गया.
अधिकारी ने कहा कि सभी पेपर सील को वास्तविक मतगणना के समय फॉर्म 17(सी) में उल्लिखित संख्या के साथ सत्यापित किया जा सकता है. मतदान, नियंत्रण इकाइयों और वीवीपीएटी की विशिष्ट संख्या को भी उम्मीदवारों के साथ मतदान से पहले और बाद में साझा की गई सूचियों से सत्यापित किया जा सकता है. इसलिए मतदान के बाद ईवीएम में कथित बदलाव का आरोप निराधार है.
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