National Broadcasting Day 2024 : रेडियो एक ऐसा माध्यम है जिसमें हर वर्ग के लोगों के लिये सूचना, जानकारी से लेकर मनोरंजन तक सभी तरह के प्रोग्राम का प्रसारण किया जाता है.
ऐसे मिला All India Radio का नाम (National Broadcasting Day 2024)
रेडियो के आविष्कारक मारकोनी ने जब पहली बार इटली में 1895 रेडियो सिग्नल भेजा और उसे सुना तो भविष्य का इतिहास वहीं अंकित हो गया था. जुलाई 1923 में जब भारत पर ब्रिटिश का राज था उसी समय भारत में रेडियो प्रसारण की बात शुरू हुई जो 23 जुलाई 1927 को बम्बई में (आज का मुम्बई) इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के नाम से शुरू हुई, 26 अगस्त 1927 को कलकत्ता से (आज का कोलकाता) भी रेडियो प्रसारण शुरू हो गए. 8 जून 1936 को रेडियो को एक नया नाम मिला यानि “All India Radio” जिसे हम “आकाशवाणी” के नाम से भी जानते हैं.
रेडियो की 99 प्रतिशत जनता तक सीधी पहुंच
टेक्नालॉजी के विस्तार के बावजूद भी पिछले कई सालों से मनोरंजन और ज्ञान अर्जन के लिए रेडियो का उपयोग आज भी लोग करते है. विभिन्न प्रकार के संसाधन मौजूद होने पर भी आज देश में रेडियो लगभग 99 प्रतिशत जनता तक सीधी पहुंच के चलते मुख्य संचार के रूप में सबसे प्रभावशाली माध्यम है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम के लिए तमाम उपलब्ध अन्य संचार माध्यमों को छोड़कर रेडियो को चुना.
आज के समय में आकाशवाणी
आज भारत में आकाशवाणी के पास लगभग 260 रेडियो स्टेशनों का विशाल नेटवर्क है. ये सारे रेडियो स्टेशंस भारत के कुल 92 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है, लगभग भारत के पूरी आबादी को सेवा प्रदान करता है. आज के समय यह सेवा 23 भाषाओं और 146 बोलियों में प्रसारित की जा रही है.
रेडियो का विस्तार और प्रभाव
स्वतंत्रता के बाद, ऑल इंडिया रेडियो राष्ट्र निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गया. विभिन्न क्षेत्रीय स्टेशनों के शुभारंभ के साथ, AIR ने देश भर में अपनी पहुंच का विस्तार किया. नेटवर्क ने भारत की भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए कई भाषाओं में प्रसारण किया. शैक्षिक कार्यक्रम, कृषि सलाह, स्वास्थ्य जागरूकता और मनोरंजन प्रसारण सामग्री का अभिन्न अंग बन गए. इसके सबसे प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में से एक “विविध भारती” था, जिसे 1957 में लॉन्च किया गया था. इस प्रोग्राम ने म्यूजिक, नाटक और लोकप्रिय संस्कृति को आम जनता तक पहुंचाया. कार्यक्रम की लोकप्रियता ने सांस्कृतिक और भाषाई विविधता वाले देश में एक एकीकृत माध्यम के रूप में रेडियो की शक्ति को रेखांकित किया.
आजादी से पहले और बाद का महत्व
दशकों से, रेडियो सबसे पुराने, सबसे लोकप्रिय और सबसे व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले समाचार माध्यमों में से एक बना हुआ है. हर दौर में रेडियो प्रसारण का अपना अलग महत्व रहा है. आजादी से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद रेडियो और कांग्रेस रेडियो ने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ जगाने में मदद की. वहीं आजादी के बाद स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए रेडियो प्रसारण ने मील के पत्थर का काम किया. ब्रॉडकास्टिंग, प्राकृतिक आपदाओं के समय सूचना देने में भी अहम भूमिका निभाता है.
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