प्रेग्नेंट वूमन की हर एक्टिविटी का असर, गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। यही वजह है कि डॉक्टर, प्रेग्नेंट वुमन को 9 महीने पूरी सावधानी बरतने, साथ ही अपने सेहत के प्रति सजग रहने की सलाह देते हैं। यह सब इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इन 9 महीनों में वुमन में कई तरह के शा​रीरिक, मानसिक बदलाव होते हैं। हार्मोनल चेंजेस होते हैं, मूड स्विंग होता है। अगर इस दौरान लाइफस्टाइल और डाइट ठीक है तो सारी चीजें काफी हद तक मैंटेन हो जाती हैं। ऐसे में खाना पकाने के बर्तन भी मां और बच्चे की सेहत को प्रभावित करते हैं। आज तो नॉन-स्टिक कुकवेयर का ही जमाना है, क्योंकि इसमें खाना बनाना आसान होता है और सफाई भी।
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान नॉन-स्टिक कुकवेयर का उपयोग करना कुछ गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है? कैसे जानते हैं विस्तार से।

टॉक्सिक केमिकल्स का निकलना

नॉन-स्टिक कुकवेयर की सतह पर पॉलिटेट्राफ्लुओरोएथिलीन की कोटिंग होती  है, जिसे ‘टेफ्लॉन’ कहते हैं। जब इसे हाई टेम्परेचर पर गर्म करते हैं, तो इससे केमिकल निकलता है। ये केमिकल्स सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं, जो प्रेग्नेंट वुमन के लिए हानिकारक हो सकता है। साथ ही, बच्चे की ग्रोथ भी प्रभावित करता है। पेरफ्लुओरोक्टेनोइक एसिड के संपर्क में आना पेरफ्लुओरोक्टेनोइक एसिड एक और खतरनाक केमिकल है, जो नॉन-स्टिक कुकवेयर में पाया जाता है। केमिकल अगर, लंबे समय तक शरीर में है तो इससे प्रेग्नेंट वुमन और गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है, यह शिशु के बर्थ डिफेक्ट और ग्रोथ में बाधा डाल सकता है।

हार्मोनल असंतुलन का खतरा

नॉन-स्टिक कुकवेयर में पाए जाने वाले केमिकल्स हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं। जैसे कि थायरॉइड के स्तर में गड़बड़ी, जो मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक होते हैं। साथ ही मां के भोजन से केमिकल पेट में जाने से शिशु को जन्मजात बीमारियां हो सकती हैं।

क्या करें

प्रेग्नेंसी में खाना बनाने के लिए आप स्टील, सिरेमिक कुकवेयर या कास्ट आयरन के बर्तनों का इस्तेमाल करें। प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की परेशानी में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसमें कतई देर न करें।