विक्रम मिश्र, लखनऊ. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा. हालांकि, इस मामले में अल्पसंख्यक दर्जा तय करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपा गया है. सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसले पर शिया धर्मगुरु यासूब अब्बास ने अपनी खुशी जाहिर की है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने देश और दुनिया में खुशबू फैलाने का काम किया है.

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता और महासचिव शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने बयान देते हुए कहा कि यह बहुत अच्छा फ़ैसला है और मैं इस फ़ैसले का दिल से स्वागत करता हूं, क्योंकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने शिक्षा के क्षेत्र में देश के साथ-साथ पूरी दुनिया में तालीम की खुशबू फैलाने का काम किया है.

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शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि “अल्पसंख्यक दर्जे की अपनी अलग अहमियत और ताक़त होती है, क्योंकि उसमें किसी की दख़लअंदाज़ी नहीं होती है और संस्था के हित में कोई भी फ़ैसला लेने में किसी तरह की परेशानी पेश नहीं आती. जहां तक तीन जजों की बेंच का सवाल है तो मेरी उम्मीद है कि वह बहुत अच्छा फ़ैसला लेगी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक दर्जे को बरक़रार रखने का फ़ैसला करेगी.

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मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हमेशा एएमयू को लेकर इसलिए विवाद रहता है, क्योंकि वह अच्छी शिक्षा प्रदान कर रहा है. पूरे देश को एएमयू से बेहतरीन और क़ाबिल लोग मिले हैं जो आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का नाम रौशन कर रहे हैं इसी वजह से कुछ लोग एएमयू को शक की निगाह से देखते हैं और ये फ़ैसला उन नफ़रती लोगों के लिए बहुत बुरी ख़बर साबित हुआ है.

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मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि अगर एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला रहता है तो यह हमारे देश के अल्पसंख्यक समुदाय के साथ-साथ इस संस्था में तालीम हासिल करने वाले स्टूडेंट्स के लिए बहुत अच्छी बात है.”