‘दयाहीनं निष्फलं स्यात्रास्ति धर्मस्तु तत्र हि. एते वेदा अवेदाः स्य् र्दया यत्र न विद्यते..’ यानी बिना दया के किए गए काम में कोई लाभ नहीं होता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता, और जहां दया नहीं होती, वहां वेद भी अवैध होते हैं.’ राजकोट से 20-22 किमी दूर देश का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम तैयार हो रहा है. यह एक पांच स्टार वृद्धाश्रम होगा, जो निराश्रित, बीमार और लाचार बुजुर्गों के लिए बनाया जाएगा. यह वृद्धाश्रम 30 एकड़ की विशाल जमीन पर बनाया जाएगा, हर मंजिल पर 16 कमरे होंगे, कुल 1400 कमरे होंगे, जिसमें 5000 बुजुर्ग रह सकेंगे. वृद्धाश्रम का नाम सद्भावना धाम होगा और राजकोट के उद्योगपति विजयभाई डोबरिया इसका निर्माण करवा रहे हैं. इसमें दो मंजिला डायनिंग हॉल, एक लाइब्रेरी, एक योग रूम और एक प्रार्थना कक्ष होगा. पहला टावर 70% तक पूरा हो चुका है और अप्रैल 2025 में उद्घाटन होगा. पूरा प्रोजेक्ट 2027 में पूरा हो जाएगा.
300 करोड़ रुपये की लागत से यह वृद्धाश्रम बन रहा है, जिसमें 200 लोगों की एक टीम रात-दिन काम कर रही है और पूरा पैसा दान से आ रहा है. हर टॉवर में हॉस्पिटल होगा, जहां जरूरत पड़ने पर मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा, और एक बड़ा उद्यान और पार्टी प्लॉट भी बनाया जाएगा. जैन निराश्रित बुजुगों के लिए एक अलग टावर और एक देरासर (जैन मंदिर) भी बनाया जाएगा.
हर टावर में 2 लिफ्ट, कमरे में 2 वॉशरूम व CCTV
हर कमरे में दो वॉशरूम हैं, हर टावर में दो लिफ्ट हैं और सीढ़ियों की ऊंचाई चार से छह इंच की रखी गई है, ताकि बुजुर्गों को चढ़ने में परेशानी न हो. कमरों में सीसीटीवी भी लगाए गए हैं, ताकि किसी को अचानक कोई समस्या आ गई तो कंट्रोल रूम से देख सकें, हालांकि प्राइवेसी का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा.
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100 प्रोफेशनल लोगों की टीम होगी रहेगी
वृद्ध लोग अकेलेपन से सबसे अधिक परेशान होते हैं. इस पांच स्टार सोसायटी में एक खास टीम होगी, जो बुजुर्गों को सुनेगी, उनके गुस्से, परेशानी, किस्सों और सुख-दुख को प्यार से सुनेगी. इस टीम को सिर्फ इसी काम के लिए सैलरी दी जाएगी और इसकी लगातार निगरानी की जाएगी. बुजुर्गों की देखभाल और सुविधा के लिए करीब 100 विशेषज्ञों की टीम होगी, जिन्हें सैलरी दी जाएगी.
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