Unified Licence FDI Limit: सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बीमा कानून में संशोधन करने की योजना बना रही है. अधिकारियों के अनुसार, मुख्य रूप से दो बदलाव प्रस्तावित हैं. बीमा कंपनियों के लिए एकीकृत लाइसेंस और इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को मौजूदा 74% से बढ़ाकर 100% करना.
अगर ये बदलाव किए गए तो देश में बीमा की पहुंच बढ़ेगी. रिसर्च फर्म स्विस री इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत में अभी बीमा की पहुंच सिर्फ 3.8% है. एकीकृत लाइसेंस एक समग्र लाइसेंस है. इससे एक ही कंपनी जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य बीमा उत्पाद पेश कर सकेगी.
फिलहाल जीवन बीमा कंपनियां स्वास्थ्य कवर जैसे उत्पाद नहीं बेच सकती हैं. हालांकि, सामान्य बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य से लेकर समुद्री बीमा पॉलिसियां बेचने की अनुमति है. सरकार इस जटिलता को दूर करना चाहती है.
100% एफडीआई की अनुमति देने से क्या होगा फायदा?
बीमा उद्योग को बड़ी पूंजी की जरूरत होती है. सरकार 100% विदेशी निवेश की अनुमति देकर बड़ी पूंजी वाली विदेशी कंपनियों को आकर्षित करना चाहती है.
इस रणनीति से एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, टाटा और बिड़ला जैसी घरेलू दिग्गज कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो वर्तमान में इस क्षेत्र में हावी हैं.
एलियांज जैसी कुछ विदेशी कंपनियां, जो कथित तौर पर भारतीय भागीदार बजाज से अलग होने जा रही हैं, स्वतंत्र रूप से भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकती हैं.
एकीकृत लाइसेंस प्रणाली क्या बदलाव लाएगी? (Unified Licence FDI Limit)
घरेलू और विदेशी बीमा कंपनियां निवेश बढ़ाने के लिए उत्साहित होंगी क्योंकि उन्हें नए क्षेत्रों में भी प्रवेश करने का मौका मिलेगा.
एक ही कंपनी सभी प्रकार के बीमा कवर प्रदान करने में सक्षम होगी. ग्राहकों को अलग-अलग बीमा के लिए अलग-अलग कंपनियों के पास जाने की जरूरत नहीं होगी.
जीवन बीमा कंपनियां स्वास्थ्य कवर जैसे अन्य उत्पाद भी बेच सकेंगी. इसके विपरीत, सामान्य बीमा कंपनियों को भी जीवन बीमा पॉलिसियां बेचने की अनुमति होगी.
भारत विदेशी कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार है क्योंकि (Unified Licence FDI Limit)
अमेरिकी प्रबंधन परामर्श फर्म मैकेंजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारतीय बीमा उद्योग का सकल लिखित प्रीमियम लगभग 11 लाख करोड़ रुपये था. उद्योग वर्ष 2020 से 11% की वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि (CAGR) देख रहा है. प्रीमियम वृद्धि के मामले में, भारत ने हाल के वर्षों में कुछ एशियाई देशों को पीछे छोड़ दिया है.
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