
मनीष जायसवाल, नेपानगर। भारतीय जनता पार्टी में जिला अध्यक्ष चुनाव की घोषणा से पहले मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर खींचतान तेज हो गई है। बुरहानपुर जिले के नेपानगर मंडल में हाल ही में नियुक्त मंडल अध्यक्ष नितेश वर्मा के चयन के बाद विवाद और गहराने लगा है। संगठन के भीतर पहले से ही सक्रिय दो गुट अब जिला अध्यक्ष पद पर अपने-अपने उम्मीदवार को बैठाने की कोशिश में जुट गए हैं।
क्या है मामला
दरअसल, मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद विरोध के सुर नेपानगर मंडल में मंडल अध्यक्ष पद के लिए नितेश वर्मा और सचिन गोपाल के नाम चर्चा में थे। लंबे समय तक चली रायशुमारी और संघर्ष के बाद नितेश वर्मा को मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया गया। हालांकि, इस नियुक्ति के बाद से ही एक गुट नितेश वर्मा के खिलाफ भोपाल और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क बनाए हुए था। गुरुवार देर रात नेपानगर मंडल के अंतर्गत नवनिर्वाचित मंडल अध्यक्ष नितेश वर्मा की नियुक्ति और आगामी जिला अध्यक्ष चुनाव में उनकी राय शुमारी पर रोक लगाने के अटकलें बाजार में गर्म रही। वहीं अब एक गुट नितेश वर्मा को रायशुमारी से दूर रखने में सफल होने के बाद अपनी जीत बता रहा है तो, दूसरा इसे संगठन का निर्णय बता रहा है।
नव निर्वाचित मंडल अध्यक्ष नितेश वर्मा ने इस मामले में बताया कि, मुझे अभी तक संगठन की ओर से कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन अगर संगठन द्वारा मुझे जिला अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने का निर्णय लिया जाता है तो मैं उसे जरुर मानूंगा। मेरे लिए संगठन ही सर्वोपरि है। नेपानगर मंडल के अंतर्गत लंबे समय से मंडल अध्यक्ष पद के लिए दो दावेदार नितेश वर्मा और सचिन गोपाल का नाम चर्चाओं में था। जिसके बाद लंबी जिद्दोजहद एवं राय शुमारी के बाद नितेश वर्मा को संगठन द्वारा नेपानगर मंडल अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद से ही एक गुट वर्मा की नियुक्ति के विरोध में शिकायतों को लेकर भोपाल एवं वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में बना हुआ था। गुरुवार देर रात नितेश वर्मा को रायशुमारी से दूर रखने के पत्र के जारी होने के बाद नेपानगर एवं बुरहानपुर जिले की राजनीति और गर्म हो गई है।
जिले में लंबे समय से सक्रिय सांसद एवं विधायक गुट
सूत्रों की मानी जाए तो बुरहानपुर जिले में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के समय से ही सांसद एवं विधायक गुट आपस में विवादों को लेकर चर्चाओं में बना हुआ रहता है। विधानसभा चुनाव से पूर्व भी पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बुरहानपुर विधानसभा सीट से लड़ने के बाद यह गुटबाजी और चरम पर आ गई। वहीं लोकसभा चुनाव से पूर्व भी दोनों गुटों की आपसी खींचतान सड़कों पर देखी जाती रही है। वहीं अब बुरहानपुर जिले के 13 मंडलों में से दोनों ही गुट अपने-अपने मंडल अध्यक्ष को काबिज कर जिला अध्यक्ष का पद अपने कबजे मे करने की होड़ में लगे हुए हैं।
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