मुंबई।अगर आप रेडमी, ज़िओमी, ओप्पो या वन प्लस जैसी चाइनीज़ कंपनियों के फोन इस्तेमाल करते हैं तो ये खबर ज़रूर पढ़ें. बार्डर पर भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम यानी सीईआरटी – इन ने 21 स्मार्टफोन बनानकर भारत में बेचने वाली कंपनियों को चिट्ठी लिखकर मोबाइल के सेफ्टी और सेक्योरिटी डिटेल्स की जानकारी मांगी है. सीईआरटी- इन ने ये जानना चाहा है कि मोबाइल इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के डाटा लीक को रोकने के लिए क्या इंतज़ाम फोन में है.
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलिजी के एक अधिकारी के मुताबिक इस कवायद का मकसद ये जानना है कि मोबाइल हार्डवेयर और सॉफ्टेयर में कहां-कहां खामी है जिससे डाटा लीक हो सकता है.
अधिकारी के अनुसार हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि मोबाइल फोन सुरक्षित है. अगर उसका डाटा तीसरे देश में लीक हो रहा है तो यह हमारे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है. डाटा इस देश के सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है. भारत में इस समय झिओमी, जीओनी, ओप्पो, वन प्लस जैसी कंपनियां तेज़ी से मार्केट शेयर बढ़ा रही हैं. कई मामलों में कांटेक्स और टेक्स्ट मैसेज भारत और बाहर लीक हो रहा है. स्मार्टफोन में उपभोक्ता महत्वपूर्ण सूचनाएं रखता है. जिसमें पेमेंट और व्यक्तिगत जानकारियां शामिल हैं. कई कंपनियों का डाटा सेंटर चीन में है. जबकि नियमानुसार ये डाटा सेंटर भारत में होना चाहिए.
सीईआरटी इन ने जो जानकारियां मांगी है अगर उसमें कोई कमी पाई जाती है तो सरकार अपने स्तर पर इसका ऑडिट कराएगी. अगर ये पाया जाता है कि ये कंपनियां भारत के डाटा सुरक्षा के नार्म्स का पालन नहीं कर रही हैं तो उनके खिलाफ नियम मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.
सराकरी आंकडों के मुताबिक 2016-17 में भारत ने करीब पौने चार अरब डॉलर का मोबाइल फोन आयात किया था. करीब इस दौरान 90 हज़ार करोड़ के साढ़े सत्तरह करोड़ मोबाइल भारत में एसेंबल हुए.