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कर्म मिश्रा, ग्वालियर. जीवाजी यूनिवर्सिटी में जमकर हंगामा देखने को मिला. यह हंगामा उस वक्त हुआ, जब नए कुलगुरु पदभार लेने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान NSUI ने कुलगुरु की कुर्सी को गंगाजल से धोया. जिसके चलते माहौल गरमा गया और नवागत कुलगुरु ने NSUI नेताओ को कानूनी कार्रवाई की धमकी दे डाली
दरअसल, मंगलवार को राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने जीवाजी विश्वविद्यालय में धारा 52 लागू करने का आदेश जारी किया था. इसी के साथ विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी सहित EC मेंम्बर्स को बर्खास्त कर दिया गया. राजभवन ने डॉ राजकुमार आचार्य को जीवाजी विश्वविद्यालय का नया कुलगुरु बनाया और वह बुधवार को पदभार लेने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय पहुंचे. इस दौरान NSUI प्रदेश महासचिव कृष्णा भारद्वाज के नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ता भी जा पहुंचे. प्रदेश महासचिव कृष्णा ने जैसे ही कुलगुरु की कुर्सी को गंगाजल छिड़क कर धोया, वैसे ही हंगामा खड़ा हो गया.
NSUI को निष्पक्ष काम करने का भरोसा दिलाया
नवनियुक्त कुलगुरु डॉ राजकुमार आचार्य ने NSUI पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओं पर कानूनी कार्रवाई करवाने की धमकी दे डाली. मौके पर मौजूद सुरक्षा गार्डों ने NSUI प्रदेश महासचिव से गंगाजल का लोटा छीना. जिसके चलते छात्र नेताओं का भी गुस्सा फूंट बैठा. हालांकि, वहां मौजूद असिस्टेंट रजिस्ट्रार सहित अन्य प्रोफेसर्स ने छात्र नेताओं को समझाया. इसके बाद माहौल ठंडा हुआ. प्रदेश महासचिव कृष्णा भारद्वाज ने नवनियुक्त कुलगुरु डॉ राजकुमार आचार्य को अपने हाथों से मिठाई खिलाई तो वही कुलगुरु ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि जीवाजी विश्वविद्यालय छात्रों के हित में काम करेगा.
कुलगुरु डॉ राजकुमार आचार्य का कहना है कि फर्जी कॉलेज की जांच सख्ती के साथ की जाएगी. खासकर कॉलेज को दी जाने वाली संबद्धता प्रक्रिया में नियमों की अवहेलना करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा. सम्बद्धता फर्जीवाड़े में EOW द्वारा आरोपी बनाए गए पूर्व कुलगुरु अविनाश तिवारी सहित 17 प्रोफेसर्स को लेकर भी उन्होंने कहा कि जांच जारी है, जो भी दोषी होगा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि मुरैना के झुंडपुरा कॉलेज को फर्जी दस्तावेज के आधार पर मान्यता लेकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया गया. ग्वालियर निवासी अरुण कुमार शर्मा ने मामले की शिकायत की थी. जिसमें आरोप लगाए गए थे कि मुरैना के झुंडपुरा में निजी कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दी गई है. कॉलेज को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्कॉलरशिप सहित अन्य लाभ दिलाए गए हैं. मामले का खुलासा और जांच के बाद EOW में धारा 420, 409, 467,68, 120 B, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत केस दर्ज किया था.
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