अजयारीवंद नामदेव, शहडोल. मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जयसिंहनगर में प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम 1 मार्च को आयोजित किया गया था. जिसमें मेडिकल वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. लेकिन 3 मार्च को फिर से नगर परिषद अध्यक्ष और जनपद अध्यक्ष ने वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. अब लोग कंफ्यूज हैं कि असली कार्यक्रम पहले वाला था या दूसरा वाला?

बता दें कि 1 मार्च को किसी जनप्रतिनिधि के माध्यम से वाहन को हरी झंडी नहीं दिखाई गई थी. जबकि मौके पर जयसिंहनगर भाजपा मंडल के निवृत्तमान पदाधिकारियों और सदस्यों की मौजूद थी. इन्ही के माध्यम से कोरम पूरा कर वाहन को आगे बढ़ा दिया गया था. 3 मार्च को फिर से कार्यक्रम आयोजित किया गया और नगर परिषद अध्यक्ष सुशीला शुक्ला और जनपद अध्यक्ष मालती सिंह ने वाहन को हरी झंडी दिखाकर फील्ड के लिए रवाना किया.

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अब सवाल खड़ा होता है कि जब एक बार कार्यक्रम लोकार्पित हो गया तो फिर दोबारा उसके आयोजन की आवश्यकता क्या थी? इससे यह पता चलता है कि शासकीय आयोजनों का कोई औचित्य नहीं रह गया है. हैरानी की बात तो यह है कि पहली बार जब जन प्रतिनिधियों की याद नहीं आई तो फिर पीछे के आयोजन में उपस्थित होने की जरूरत क्या थी?

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इस पूरे मामले में जयसिंहनगर बीएमओ केएल दिवान का कहना है गाड़ी आनन-फानन में आई थी. हमारे पास समय सीमा कम था. प्रतिनिधि को अवगत कराकर हरी झंडी दिखाकर गाड़ियां रवाना करवा दिया गया था. ताकि सूचना प्रसारित हो जाए. दूसरी बार फिर से हरी झंडी दिखाते हुए गाड़ियां रवाना की गई. पहली बार में मंडल अध्यक्ष ने हरी झंडी दिखाई. दूसरे बार में नगरपालिका अध्यक्ष ने हरी झंडी दिखाकर गाड़ी रवाना किया.

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