Mark Carney New Canada PM: कनाडा के नए प्रधानमंत्री का नाम तय हो गया है। मार्क कार्नी कनाडा के नये पीएम होंगे। बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके कार्नी को कनाडा की लिबरल पार्टी ने अपना नया नेता चुना है। इसी के साथ ही कनाडा के नए पीएम बन गए है। इसी के साथ ही कनाडा में जस्टिन ट्रूडो का दौर खत्म हो चुका है। कनाडा में यह पहली बार है जब कोई बाहरी व्यक्ति जिसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, प्रधानमंत्री बना है।

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कनाडा का नया प्रधानमंत्रई चुने जाने के बाद कार्नी ने कहा कि दो G7 केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के रूप में सेवा करने वाले पहले व्यक्ति के रूप में उनका अनुभव यह दर्शाता है कि वह ट्रंप से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। साथ ही कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के रूप में नामित होने के तुरंत बाद मार्क कार्नी ने अमेरिका को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए। उन्होंने कहा कि कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा।

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ट्रंप की टैरिफ धमकियों  को लेकर कार्नी ने जवाब देते हुए कहा कि कनाडा के जवाबी उपाय भी तब तक लागू रहेंगे जब तक कि अमेरिका मुक्त और निष्पक्ष व्यापार पर विश्वसनीय प्रतिबद्धता नहीं जताता। उन्होंने कहा कि हम ट्रंप को सफल नहीं होंगे। हम एक मजबूत देश है। कार्नी ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की बात दृढ़ता से कही और कहा कि इस संकट में उन लोगों की मदद की जानी चाहिए जो टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।  

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बैंक गवर्नर के तौर पर मिली पहचान

मार्क कार्नी ने लंबे समय तक दुनिया के बड़े बैंकों में काम किया है। साल 2008 में कार्नी को बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। इस पद पर रहते हुए उनको दुनियाभर में पहचान मिली। 2008 के वित्तीय संकट से कनाडा को उबारने में कार्नी की अहम भूमिका रही। साल 2010 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों में चुना। अगले ही साल 2011 में रीडर्स डाइजेस्ट कनाडा ने उन्हें ‘मोस्ट ट्रस्टेड कैनेडियन’ के खिताब से नवाजा और 2012 में यूरोमनी मैगजीन ने उन्हें सेंट्रल बैंक गवर्नर ऑफ द ईयर चुना।

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साल 2013 में कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर का पदभार संभालने के लिए यूके आए। वे 300 साल के इतिहास में इस संस्थान का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश नागरिक बने। उन्होंने 2020 तक इस पद पर काम किया। 2020 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु कार्रवाई और वित्त के लिए विशेष दूत के रूप में काम करना शुरू किया। कार्नी गोल्डमैन सैक्स में भी काम कर चुके हैं। कनाडा की लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उन्होंने दूसरे सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।

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कार्नी के पास कनाडा, यूके और आयरिश नागरिकता थी

मार्क कार्नी ने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। कई कनाडाई लोगों की तरह, उन्होंने हार्वर्ड के लिए बैकअप गोलकीपर के रूप में काम करते हुए आइस हॉकी खेली। कार्नी के पास कनाडा, यूके और आयरिश नागरिकता थी। उन्होंने अंततः बाकी दोनों नागरिकता छोड़ते हुए केवल कनाडाई नागरिकता प्राप्त करने का निर्णय लिया, जो कि कानून द्वारा आवश्यक नहीं है।

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भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद

जस्टिन ट्रूडो ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंधों को बदतर करने में कोई असर नहीं छोड़ी। लेकिन मार्क कार्नी इसे बेहतर बना सकते हैं। कार्नी वहीं शख्स हैं, जिन्होंने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ रिश्ते फिर से मजबूत करने चाहिए। जानकार बताते हैं कि मार्क कार्नी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पसंद नहीं करते। हालांकि वह कभी खुल कर इस बारे में भी नहीं कहते हैं। कनाडा पर ट्रंप की बिगड़ी नीयत के बाद अब कार्नी के सामने इकोनॉमी को मजबूत करने और देश के लोगों का भरोसा जीतने की चुनौती होगी।

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1994 में की शादी, चार बच्चे

मार्क कार्नी ने 1994 में ब्रिटेन की डायना फॉक्स से शादी की। विकासशील देशों में विशेषज्ञता रखने वाली ब्रिटिश अर्थशास्त्री फॉक्स और कार्नी की मुलाकात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी। फॉक्स के पास यूके और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। पिछले कुछ सालों से वह अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में काम कर रही हैं। इस जोड़े के चार बच्चे हैं। फॉक्स और कार्नी के चार बच्चे हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं।

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