चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित कर दी गई है. समय की कमी के कारण बुधवार (19 मार्च, 2025) को विस्तृत सुनवाई नहीं हो सकी. इस स्थिति में, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध पर सुनवाई को टालने का निर्णय लिया. कोर्ट ने मामले को 16 अप्रैल को सुनवाई के लिए निर्धारित करने का निर्देश दिया है.

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, लोक प्रहरी और जया ठाकुर सहित कई याचिकाकर्ताओं ने नए कानून के खिलाफ चुनौती पेश की है. उनका कहना है कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चुनाव आयुक्त के चयन के लिए गठित समिति में मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता को शामिल करने का निर्देश दिया था. हालांकि, सरकार ने नए कानून को पारित करते समय इस समिति में मुख्य न्यायाधीश की जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित मंत्री को शामिल किया.

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याचिकाकर्ता ADR के वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले को लोकतंत्र की नींव से संबंधित बताया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में यह मामला सुनवाई की सूची में काफी पीछे है, जिससे यह संभावना कम है कि इसे पूरी तरह से सुना जा सकेगा. इस पर, 2 जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि वे भी इस मामले को विस्तार से सुनकर उसका समाधान करना चाहते हैं.

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प्रशांत भूषण ने अनुरोध किया कि सुनवाई के लिए कोई ऐसी तारीख दी जाए जिसमें इसे 2-कोर्ट ने 16 अप्रैल को मामले की सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिससे इसे तीन घंटे तक सुना जा सकेगा. जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि उस दिन अन्य बड़े मामलों की सुनवाई नहीं होगी, जिससे इस केस को विस्तार से सुनने का अवसर मिलेगा.