भुवनेश्वर : विधानसभा सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष ने आज सदन में हंगामा किया। जाति आधारित आरक्षण की मांग को लेकर बीजद में उथल-पुथल मची हुई थी। बीजद नेता अरुण साहू ने कहा, “हमने विरोध प्रदर्शन किया और गेट के सामने बैठ गए क्योंकि सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी।” अगर सरकार नहीं सुनेगी तो विपक्ष घर क्यों जाएगा?
एससी, एसटी, ओबीसी की 94% आबादी को बिना अधिकार दिए सरकार को अपने घर जाने का अधिकार नहीं है। यदि तकनीकी शिक्षा में केवल 20% आरक्षण है, तो क्या ओबीसी के लिए शून्य आरक्षण स्वीकार्य है? अगर मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर में एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण का स्वागत करते हैं, तो भाजपा ओडिशा में बिना कुछ किए एक बाल सरकार बनकर रह जाएगी।
सरकार कहती है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन बातचीत तो करो। यदि हम घर पर हर बात पर चर्चा करते हैं, फिर भी कोई काम नहीं हो पाता। यह सरकार की जिम्मेदारी है । क्या उन्होंने चुनाव जीतने के लिए झूठ बोलकर लोगों का विश्वास खो दिया है? जब हम मुख्यमंत्री थे, तो हमने 2021 कोविड महामारी के दौरान जाति आधारित जनगणना के लिए केंद्र को पत्र लिखा था। सरकार ने कुंभ मेले में 65 करोड़ लोगों की गलत गिनती की। तो फिर वे जातीय जनगणना क्यों नहीं करा रहे हैं? इससे सामाजिक समानता तो आएगी, लेकिन क्या उन्हें डर है कि उनकी पोल खुल जाएगी?

सरकार ने कोई भी जन कल्याणकारी कार्यक्रम नहीं चलाया है। केन्द्र सरकार पीछे हट रही है। केबीके ने अनुदान में कटौती की, नवीन पटनायक ने बीजू केबीके को बनाया, केंद्र ने बीआरजीएफ में कटौती की। बहस के लिए आओ, तुम हार जाओगे। सरकारी टीम भागने की कोशिश कर रही है। यह कहकर बीजद ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
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