लक्षिका साहू, रायपुर। रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के कांग्रेस के फैसले से नाराज़ पाँच पार्षदों ने भले ही पार्टी को दिया गया इस्तीफा वापस ले लिया हो, लेकिन वे अब भी अपनी मांगों पर अडिग हैं। इससे साफ हो गया है कि पार्टी के भीतर असंतोष पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और विवाद की चिंगारी अब भी सुलग रही है।

क्या है पूरा मामला?
हाल ही में कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम में आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया। लेकिन इस फैसले से असहमति जताते हुए कांग्रेस के संदीप साहू समेत 5 पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इस अप्रत्याशित कदम से कांग्रेस संगठन में हलचल मच गई और डैमेज कंट्रोल शुरू किया गया।
पीसीसी चीफ द्वारा गठित कमेटी ने संभाली कमान
पार्टी की आंतरिक सुलह प्रक्रिया के तहत पीसीसी चीफ दीपक बैज के निर्देश पर कुरुद के पूर्व विधायक लेखराम साहू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें प्रेमचंद जायसी और सुनील माहेश्वरी को शामिल किया गया। इस समिति ने सभी नाराज़ पार्षदों से वन-टू-वन चर्चा की। इसके परिणामस्वरूप नाराज़ पार्षदों ने पार्टी से दिया गया इस्तीफा वापस ले लिया है। लेकिन अब भी वे आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के खिलाफ हैं।
इस्तीफा वापस, लेकिन अपनी मांग पर अडिग – संदीप साहू
पार्षद संदीप साहू ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में स्पष्ट किया कि अभी पार्षदों ने कमेटी से चर्चा के बाद इस्तीफा वापस ले लिया है। पर वह अपनी मांगों से पीछे नहीं हटे हैं। कमेटी जल्द ही रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगी।
समाधान के लिए तीसरे नाम की चर्चा
सूत्रों के अनुसार, संदीप साहू और आकाश तिवारी के बीच चल रहे विवाद को देखते हुए कांग्रेस अब किसी तीसरे व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर विचार कर सकती है। पार्टी में यह चर्चा तेज़ है कि नया नेता प्रतिपक्ष ओबीसी वर्ग से ही होगा, ताकि संतुलन साधा जा सके और संगठन में जातीय समीकरणों को बनाए रखा जाए।
PCC चीफ ने कहा – “घर का मामला है”
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने पूरे विवाद को “घर का मामला” बताया है और इसे आपसी बातचीत से सुलझाने की बात कही है। उन्होंने विश्वास जताया कि जल्द ही पार्टी की ओर से एक मजबूत और सर्वस्वीकृत नाम को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया जाएगा।
अब सारी निगाहें पार्टी द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसे जल्द ही PCC को सौंपा जाएगा। इसके बाद रायपुर नगर निगम में नए नेता प्रतिपक्ष की अधिकृत घोषणा संभव है। लेकिन यह तय है कि कांग्रेस को इस विवाद से सबक लेकर संगठनात्मक निर्णयों में ज़्यादा पारदर्शिता और संवाद स्थापित करने की ज़रूरत है।
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