Bihar News: बिहार और झारखंड की सीमाओं को जोड़ती उत्तर कोयल नहर परियोजना, जो बीते 5 दशकों से अधर में लटकी हुई थी, अब फिर से गति पकड़ रही है. इस परियोजना के तहत झारखंड के पलामू जिले के कुटकु डैम में फाटक लगाने का कार्य शीघ्र शुरू होने वाला है. इसके लिए सबसे बड़ी बाधा रहे विस्थापितों के पुनर्वास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. 7 गांवों के 780 विस्थापित किसान परिवारों को केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा दिया जा रहा है, जिससे अब परियोजना के पूर्ण क्रियान्वयन का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है.

परियोजना रह गई अधूरी 

दरअसल, उत्तर कोयल नहर परियोजना की शुरुआत वर्ष 1972 में की गई थी, जिसका उद्देश्य झारखंड और बिहार के पलामू, गढ़वा, औरंगाबाद और गया जिलों के लाखों हेक्टेयर खेतों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराना था. परियोजना के तहत कुटकु डैम 1993 में ही बनकर तैयार हो गया था, लेकिन पर्यावरणीय नियमों और वन संरक्षण अधिनियम 1980 के कठोर प्रावधानों के चलते इसमें जल संग्रहण के लिए फाटक नहीं लग पाए. नतीजन परियोजना अधूरी रह गई और केवल बारिश के पानी पर निर्भरता बनी रही.

केंद्र सरकार ने राशि स्वीकृत की 

औरंगाबाद के पूर्व सांसद व भाजपा नेता सुशील कुमार सिंह ने बताया कि 1995 से उन्होंने इस परियोजना को धरातल पर लाने के लिए सतत प्रयास किए. इसके फलस्वरूप वन विभाग द्वारा लगाई गई रोक हटाई गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस परियोजना के बचे हुए कार्यों को पूरा करने की घोषणा की गई. फाटक निर्माण, नहर की मरम्मत और विस्थापितों के पुनर्वास हेतु केंद्र सरकार ने एक बड़ी राशि स्वीकृत की. 

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