सुशील सलाम, कांकेर. सिर्फ चार मिनट की देरी के चलते तीन छात्राओं का एक साल बर्बाद हो गया. प्री बीएड परीक्षा देने पहुंची युवतियों को परीक्षा केंद्र के गेट पर ही रोक दिया गया. परीक्षा से वंचित छात्राओं ने रोते हुए न्याय की मांग की है. इन परीक्षार्थियों का कहना है कि 15 मिनट तक का समय रहता है. क्या मानवता के नाम पर कुछ लचीलापन नहीं दिखाया जा सकता था? पूरा मामला कांकेर का है.

दरअसल आज कांकेर पीजी कॉलेज में प्री बीएड और डीएड परीक्षा आयोजित की गई. दोपहर 2 बजे से शुरू होने वाली दूसरी पाली की परीक्षा में शामिल होने के लिए ज्योति यादव, रमिता कोमा और डेमेश्वरी साहू परीक्षा केंद्र पर 2 बजकर 4 मिनट पर पहुंची, लेकिन सिर्फ 4 मिनट की देरी के कारण महिला सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया. युवतियों ने कई बार विनती की, लेकिन न तो उन्हें अंदर जाने दिया गया और न ही परीक्षा केंद्र प्रभारी से बात करने दी गई.

छोटे बच्चे को दूध पिलाने गई थी रमिता, लेट होने पर परीक्षा से वंचित

जानाकरी के मुताबिक, रमिता कोमा अपने छोटे बच्चे को दूध पिलाने के लिए गई थी, इसी वजह से परीक्षा केंद्र पहुंचने में देरी हुई. भावुक रमिता ने बताया कि अब उन्हें एक साल और इंतजार करना होगा. परीक्षा से वंचित छात्राओं ने अब सवाल उठाया है कि क्या नियमों के साथ थोड़ी संवेदनशीलता नहीं हो सकती? या फिर मानवता की कीमत सिर्फ समय की सुई से तय होगी?