रविवार को हम अक्सर आराम या घूमने-फिरने का दिन मानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दिन सूर्य देव को समर्पित होता है, जो आत्मा, ऊर्जा और आत्मबल के प्रतीक माने गए हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव समस्त ग्रहों के अधिपति और साक्षात तेजस्वी देवता हैं. ‘सप्ताह’ के पहले दिन, यानी रविवार को उनकी पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सम्मान बढ़ता है.
आध्यात्मिक दृष्टि से, रविवार आत्मा और आत्मविश्वास का दिन होता है. इस दिन तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प और रोली डालकर सूर्य को अर्घ्य देना, ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत फलदायी होता है. एक विशेष परंपरा के अनुसार, पुराने समय में लोग सूर्य की किरणों को जल में देखकर अर्घ्य देते थे और तुलसी पत्र अर्पित करते थे — इसे ‘सूर्य तर्पण’ कहा जाता था. यह घर में सुख-शांति और पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है.
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क्यों यह दिन सूर्य देव को समर्पित है
पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, सूर्य देव को समस्त ग्रहों का अधिपति माना गया है. वे नित्य दृश्य देवता हैं, यानी जिनका प्रत्यक्ष दर्शन हर दिन संभव है. जब पृथ्वी पर अंधकार, रोग और अकाल बढ़ गया, तब देवताओं ने सूर्य से आग्रह किया कि वे अपने तेज से पृथ्वी को संतुलित करें. तब सप्ताह के प्रथम दिन रविवार को विशेष रूप से सूर्य के पूजन का विधान किया गया.
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सूर्य अष्टकम का पाठ करें
रविवार को सूर्य अष्टकम का पाठ करें:
“जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्. तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥”
आयुर्वेद के अनुसार, इस दिन पित्त दोष बढ़ता है, इसलिए हल्का भोजन करना और थोड़ी देर सूर्य स्नान करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. अब हर रविवार बनाएं विशेष — आत्मबल, तेज और सफलता के साथ सूर्य देव की कृपा पाएं.
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