अमित पांडेय खास रिपोर्ट

रायपुर। कभी गोवा में बारटेंडर की नौकरी करने वाले बाबा तरुण उर्फ कांति योगा अग्रवाल की योग की आड़ में चलाए जा रहे गोरखधंधे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. लेकिन आज स्थिति यह है कि बाबा की सच्चाई सामने लाने वाले थाना प्रभारी जितेंद्र वर्मा का ही ट्रांसफर कर दिया गया है. अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बाबा तरुण किसी ऐसे ताकतवर नेटवर्क का हिस्सा है, जो सिस्टम में दखल देकर जांच को प्रभावित कर रहा है?

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तरुण की असलियत पर से परदा तब उठा जब डोंगरगढ़ पुलिस ने 24 जून को उसके फार्महाउस पर छापा मारा. फार्म हाउस से करीब दो किलो गांजा और यौन गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाली कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई. तरुण इसे अपने अनुयायियों का बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसकी विदेशी कनेक्शन और करोड़ों के लेनदेन ने पूरे मामले को हाईप्रोफाइल बना दिया.

पुलिस जाँच में नाम

पुलिस जांच में सामने आया है कि तरुण ने 2020-21 में डोंगरगढ़ में प्रज्ञागिरी के पास 42 एकड़ जमीन छह करोड़ रुपए में खरीदी. उसने दावा किया कि यह पैसा NGO के फंड से आया, लेकिन इस पैसे का स्रोत अब भी संदिग्ध है. आश्चर्य की बात यह है कि बाबा तरुण की वेबसाइट पर योग पैकेज की फीस यूरो में दर्ज थे.

गोवा में वह पटनेम बीच पर रिसॉर्ट जैसा योगाश्रम चला रहा था, जहां यूरोप और अन्य देशों के लोगों से 10 लाख रुपए तक की फीस लेकर योग पैकेज बेचे जा रहे थे. तरुण ने पुलिस पूछताछ में खुद को दस NGO का डायरेक्टर बताते हुए 100 देशों की यात्रा करने का दावा किया, जिनमें अधिकतर यूरोप के देश शामिल हैं.

विदेशी कनेक्शन और NGO

इन विदेशी कनेक्शनों और NGO के फंडिंग की वजह से पुलिस को इस बात का संदेह है कि बाबा तरुण मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग के जरिए भारत में किसी नेटवर्क का एजेंट बनकर काम कर रहा था. यदि जांच में फंडिंग का सच सामने आता है तो इसमें ईडी जैसी बड़ी एजेंसियों की एंट्री भी तय मानी जा रही है.

विस अध्यक्ष ने की थी कार्रवाई की अनुशंसा और…

इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि बाबा तरुण पर कार्रवाई करने वाले डोंगरगढ़ थाना प्रभारी जितेंद्र वर्मा का अचानक ट्रांसफर क्यों कर दिया गया? हैरानी की बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने राजनांदगांव एसपी को पत्र लिखकर बोरतलाव थाना प्रभारी उपेंद्र शाह को लाइन अटैच करने की अनुशंसा की थी, लेकिन इसके उलट उपेंद्र शाह को डोंगरगढ़ का नया थाना प्रभारी बना दिया गया और बाबा पर कार्रवाई करने वाले जितेंद्र वर्मा को हटा दिया गया.

बाबा का नेटवर्क

अब सवाल यह है कि क्या बाबा तरुण का नेटवर्क इतना ताकतवर है कि उसने सिस्टम में दखल देकर कार्रवाई करने वाले पुलिस अफसर को ही हटवा दिया? या फिर डोंगरगढ़ की यह कार्रवाई किसी बड़े रैकेट की परतें उधेड़ने जा रही थी, जिसे दबाने की कोशिश की गई? बाबा के काले कारनामे और उसके विदेशी नेटवर्क की परतें खुलने के साथ-साथ डोंगरगढ़ में सत्ता, सिस्टम और संदिग्ध फंडिंग का यह खेल अब जनता के सामने आ चुका है.

पुलिस की चुप्पी

फिलहाल पुलिस इसमामले पर कुछ भी बोलने से बच रही है, पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है, लेकिन अब यह सिर्फ बाबा की गिरफ्तारी का मामला नहीं रहा, बल्कि यह सवाल बन गया है कि क्या योग की आड़ में एक विदेशी नेटवर्क भारत की व्यवस्था को चुनौती दे रहा है और क्या इसे बचाने के लिए सिस्टम में भीतरी खेल खेला जा रहा है?