रायपुर. दशकों तक नक्सलवाद के शिकंजे में कसा छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन में माओवाद की काली छाया से निकलकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की रौशनी से नहा गया है। विकास की अन्य दिशाओं के साथ ही साथ प्रदेश का बस्तर संभाग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी अधिकारों को पाने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को पुनः मुख्यधारा में लाने के लिए जो प्रयास किए हैं उससे निश्चित तौर पर बस्तर के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ेगा। बस्तर में राज्य की साय सरकार की अगुवाई में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में जो क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं उसने स्थानीय जनजीवन को मजबूती दी है और विकास की अलख जगाई है।

प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ का एक आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर, वर्षों तक नक्सलवाद की चपेट में रहा, जिसने यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा था। स्कूलों पर हमले, शिक्षकों का अपहरण, स्वास्थ्य केंद्रों पर कब्ज़ा और सड़कों के निर्माण में अड़चन जैसे हालात यहाँ आम थे।
बस्तर में शिक्षा को बहाल कर उसे पुनर्जीवित करना सरकार की प्राथमिकता
‘विकास और विश्वास’ को अपना मूलमंत्र बनाने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शासन का कार्यभार संभालते ही बस्तर को विशेष प्राथमिकता दी। बस्तर के बंद पड़े स्कूलों को फिर से खोलना और स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाना उनका पहला प्रयास था। नक्सलवाद के कारण बस्तर में 300 से अधिक स्कूल या तो बंद हो चुके थे या विस्थापित कर दिए गए थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर “स्कूल चलो अभियान” और “शिक्षा वापसी मिशन” शुरू किए गए। इसके बाद संभाग में 150 से ज़्यादा स्कूलों का पुनः संचालन हुआ।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 15000 से अधिक बच्चों का दोबारा नामांकन सुनिश्चित किया गया। शिक्षकों की विशेष सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखते हुए ग्रामीणों की सहभागिता से ज्ञान का दीया फिर प्रज्वलित किया गया है।इसके लिए बस्तर के नक्सल प्रभावित सुदूर क्षेत्रों में पूर्व-प्राथमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालयों का निर्माण किया गया। स्कूल भवनों के साथ बिजली, जल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की गईं।“स्कूल आवास योजना” के तहत शिक्षकों के लिए आवासीय सुविधाएं भी दी गईं। इतना ही नही जहां स्थायी स्कूल खोलना संभव नहीं है, वहां राज्य सरकार ने मोबाइल स्कूल व शिक्षण रथ चलाए।
शिक्षकों को स्थानीय युवाओं से जोड़ा गया जो आदिवासी भाषा में पढ़ा सकते हैं। छतीसगढ़ की साय सरकार ने आदिवासी बाहुल्य बस्तर में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी बहुत से सार्थक कदम उठाए हैं जैसे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का विस्तार किया गया। बालिकाओं को साइकिल, वर्दी, किताबें और छात्रवृत्ति दी जा रही है।”बेटी पढ़ाओ, बस्तर बढ़ाओ” मुहिम ने जनमानस में चेतना जगाई।शिक्षा का स्तर भी सुधारा जा रहा है जिसके तहत डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई है। स्कूलों में स्मार्ट बोर्ड, इंटरनेट, और टैबलेट वितरण की योजनाएं चलाई गईं।
ई-पाठशालाओं की मदद से दूरस्थ अंचलों तक गुणवत्ता युक्त शिक्षा पहुंचाई जा रही है। डिजिटल सामग्री गोंडी, हल्बी, और अन्य स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करवाई जा रही है। विद्यालय प्रबंधन समितियों (SMC) में अभिभावकों, शिक्षकों और पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। स्थानीय सहभागिता से स्कूलों की निगरानी और गुणवत्ता में सुधार हुआ।राज्य सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए विशेष पुनर्वास नीति लागू करते हुए उन्हें शिक्षित करने के लिए ओपन स्कूलिंग या व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर में शिक्षा के सतत विकास के लिए हर गांव में स्कूल और उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जा रही है। आदिवासी भाषा में पाठ्यक्रम का विकास किया जा रहा है। बस्तर विश्वविद्यालय और नर्सिंग कॉलेजों का विस्तार किया जा रहा है।
बस्तर में मुख्यमंत्री ने किया स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर संभाग के प्रभावित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) का उन्नयन किया गया जिसके तहत 100 से अधिक PHC और CHC का जीर्णोद्धार किया गया। डॉक्टरों की स्थायी तैनाती करते हुए ऑनलाइन ड्यूटी मॉनिटरिंग और जन औषधि केंद्र खोले गए। साय सरकार की मलेरिया-मुक्त बस्तर अभियान ने बस्तर संभाग की तक़दीर और तस्वीर दोनो ही सुधार दी है। बस्तर में मलेरिया उन्मूलन के लिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग, निःशुल्क दवाएं, और मच्छरदानियों का वितरण हुआ। बस्तर संभाग में मलेरिया मामलों में 80% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

स्वास्थ्य को, बस्तर संभाग के घर-घर तक पहुँचाने के लिए राज्य सरकार के द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत 200 से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स स्थापित किए गए हैं जहां सामान्य बीमारियों की जांच, इलाज और दवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को भी किया जा रहा आधुनिक और चुस्त
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में जननी एक्सप्रेस और 102 एम्बुलेंस सेवा का सुदृढ़ीकरण हुआ है। जिसका लाभ सुदूर बस्तर के आदिवासी जनों तक सुचारु पहुँचाया जा रहा है।गर्भवती महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, और पोषण युक्त आहार प्रदान किया जा रहा है। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास से मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में आशाजनक गिरावट आई है। जन-जागरूकता और स्थानीय भागीदारी से लाई जा रही है.
बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
बस्तर के हर एक गांव में मितानिन और स्वास्थ्य सखी नियुक्त की गई हैं जो घर-घर जाकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं साथ ही पोषण आहार, टीकाकरण, और साफ-सफाई पर जोर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बस्तर के सुदूर गाँवों में भी इलाज की सुविधा दी जा रही है। कुछ पूर्व नक्सली अब शिक्षा सखी या स्वास्थ्य कार्यकर्ता बन कर समाज सेवा में लगी हुई हैं। छत्तीसगढ़ की साय सरकार भविष्य में बस्तर संभाग में टेलीमेडिसिन और मोबाइल हेल्थ वैन की सुविधा देने जा रही है।

राज्य की साय सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्यगत विकास को प्राथमिकता देते हुए बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के सहयोग से सुरक्षित कॉरिडोर बनाए जा रहे ।स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर शिक्षक और स्वास्थ्य कर्मी बनाया जा रहा है।ई-गवर्नेंस से सभी सेवाओं की निगरानी की जा रही है।
राज्य सरकार को मिला जनसमर्थन और जनविश्वास
डबल इंजन के सरकार की मंशा के मुताबिक़ अब बस्तर की जनता भी विकास की मुख्यधारा में जुड़ने को उत्साहित है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलावों ने लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाया है। स्कूली बच्चों की मुस्कान और ग्रामीणों के स्वस्थ जीवन ने यह साबित कर दिया है कि जब शासन की नीयत साफ हो, तो बदलाव संभव है। विष्णुदेव साय सरकार ने बस्तर को एक नई दिशा दी है – जहां शिक्षा का उजियारा और स्वास्थ्य की सुरक्षा हर गांव तक पहुंच रही है। कभी बंद पड़े स्कूलों में अब प्रार्थना की आवाजें गूंजती हैं और अब को स्वास्थ्य केंद्र पहले की तरह खाली नही पड़ा है सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दवाएं, उपकरण और डॉक्टर उपलब्ध हैं। यह बदलाव केवल शासन की योजनाओं से नहीं, बल्कि उस समर्पण और संकल्प से आया है जो मुख्यमंत्री और उनकी टीम ने दिखाया है। आज बस्तर का भविष्य उज्ज्वल है – यह विकास, विश्वास और परिवर्तन की यात्रा का नया अध्याय है।
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