Abusive language Effect Destiny: हम जो बोलते हैं, वह केवल आवाज़ नहीं होती, बल्कि हमारे विचारों और भावनाओं की शक्ति होती है. गाली देना कई लोगों के लिए ग़ुस्से या मज़ाक का तरीका हो सकता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

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ग्रंथों में क्या कहा गया है? (Abusive language Effect Destiny)

बोलना भी एक कर्म है, जैसे कोई कार्य करना. हम जैसा बोलते हैं, वैसा ही माहौल अपने आसपास बना लेते हैं. जब हम बार-बार गालियाँ देते हैं या कटु भाषा का प्रयोग करते हैं, तो हम नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करते हैं. यही नकारात्मकता धीरे-धीरे हमारे जीवन में लौटकर आती है.

एक प्रसिद्ध कहावत है — “जैसी करनी, वैसी भरनी”, तो यह भी समझिए कि “जैसी वाणी, वैसा भाग्य”. गाली देने से मन चिड़चिड़ा हो जाता है, रिश्ते बिगड़ते हैं और सोचने-समझने की शक्ति भी धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है.

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विज्ञान क्या कहता है? (Abusive language Effect Destiny)

विज्ञान भी मानता है कि नकारात्मक भाषा के प्रयोग से मस्तिष्क में तनाव बढ़ता है. कई बार लोग ग़ुस्से में गालियाँ देते हैं, लेकिन उससे कोई समाधान नहीं निकलता. उल्टा, रिश्तों में दरारें आ जाती हैं.

तो क्यों न हम अपने बोलने को भी एक तपस्या मानें? मीठे शब्द न केवल सामने वाले को अच्छा महसूस कराते हैं, बल्कि हमारे मन को भी शांति प्रदान करते हैं.

हर शब्द एक बीज की तरह होता है. जैसा बीज बोएंगे, वैसा ही वृक्ष उगेगा. तो आइए, हम सभी यह प्रयास करें कि हमारी वाणी ऐसी हो जो प्यार, शांति और समझदारी से भरी हो — ताकि हमारा भाग्य भी उसी दिशा में निखरे.

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