सुरेश परतागिरि, बीजापुर। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने गुरुवार को बीजापुर जिले में अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान 14 बंद पड़े स्कूलों को पुनः चालू करते हुए कुल 16 शालाओं का विधिवत शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने हाल में 13 वर्षीय छात्र की नक्सलियों द्वारा हत्या किये जाने को लेकर गहरी चिंता जाहिर की और समाज से ऐसी हिंसा के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

विकास और संवेदनशीलता के बीच संतुलन

जगदलपुर से सड़क मार्ग से बीजापुर पहुंचे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सबसे पहले भैरमगढ़ ब्लॉक में निर्माणाधीन पुंडरी पुल का निरीक्षण किया। कार्य में देरी को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि निर्माण कार्य तय समय सीमा में पूरा किया जाए। इसके बाद वे पास ही स्थित सीआरपीएफ कैंप पहुंचे, जहाँ उन्होंने सुरक्षाबलों के जवानों से मुलाकात कर उनका मनोबल बढ़ाया।

शिक्षा का दीप जलाने की पहल

बीजापुर के एजुकेशन सिटी स्थित नवोदय विद्यालय में आयोजित ‘शाला प्रवेश उत्सव’ कार्यक्रम में भाग लेते हुए उपमुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में बीजापुर में हो रहे सकारात्मक बदलावों की सराहना की। उन्होंने ‘वनडे स्कूल दयाकाल योजना’ के तहत प्रवासी और स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वेलकम किट वितरित की और उन्हें फिर से स्कूल से जोड़ने का प्रयास किया।

उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, “बीजापुर जैसे संवेदनशील जिले में शिक्षा की लौ जलाना आसान नहीं है, लेकिन यह बदलाव संघर्ष और प्रतिबद्धता का परिणाम है। शिक्षक समाज के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। शिक्षा ही समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।”

नक्सली हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रिया

कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री ने हाल ही में एक 13 वर्षीय छात्र की नक्सली हत्या पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना न केवल अमानवीय है, बल्कि पूरे समाज के लिए शर्मनाक भी है। उन्होंने कहा, “अब जंगलों में हिंसा और मासूमों की हत्याओं के लिए कोई जगह नहीं बची है। समाज को एकजुट होकर इन घटनाओं को रोकना होगा।”

उन्होंने एक सीआरपीएफ जवान की मिसाल देते हुए बताया कि किस प्रकार एक सर्च ऑपरेशन के दौरान उस जवान पर एक भालू ने हमला किया, लेकिन आदेश न होने के कारण उसने गोली नहीं चलाई। उन्होंने इसे सुरक्षाबलों की मानवीय सोच और अनुशासन का प्रतीक बताया। उपमुख्यमंत्री ने कहा “हमारे जवान केवल सुरक्षा के प्रहरी नहीं हैं, वे मानवीय मूल्यों और प्रकृति के प्रति सम्मान के प्रतीक भी हैं। यही संवेदनशीलता और अनुशासन हमारी असली ताकत है।”

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