देश की अर्थव्यवस्था से इस वक्त जो खबर आ रही है, वह आम आदमी के लिए सुकून देने वाली है. लगातार आठवें महीने खुदरा महंगाई में गिरावट दर्ज की गई है. जून महीने में यह दर गिरकर 2.6% के आसपास रहने की संभावना जताई जा रही है, जो पिछले कई वर्षों में सबसे निचले स्तरों में से एक है.

इस राहत की सबसे बड़ी वजह है जरूरी चीजों के दामों में गिरावट

चावल, दाल, तेल, सब्जियों समेत 20 बुनियादी वस्तुओं में से 16 की कीमतों में औसतन 24% तक की कमी आई है. यही नहीं, यह गिरावट इतने स्थिर पैटर्न में हो रही है कि अर्थशास्त्री भी चौंक गए हैं.

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महंगाई पर लगाम: कौन-कौन से सामान हुए सस्ते?

अरहर (तुअर) दाल: लगातार चौथे महीने 10% से ज्यादा की गिरावट
सरसों व पाम ऑयल: सप्लाई बढ़ने से कीमतें स्थिर
चावल और गेहूं: MSP स्थिर और स्टॉक भरपूर
सब्जियां (छोले, प्याज, भिंडी) : मौसमी फसल ने सप्लाई सुधारी
गुड़ और नमक : अप्रैल से अब तक कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं

बैंक ऑफ बड़ौदा के एसेंशियल कमोडिटी इंडेक्स ने जून में -1.8% का स्तर दिखाया, जो बताता है कि बाजार में जरूरी चीजें पहले से ज्यादा सस्ती हो रही हैं.

केवल 4 चीजें महंगी हुईं, वो भी सीमित मात्रा में

  • सनफ्लावर ऑयल: अंतरराष्ट्रीय बाजार में थोड़ी अस्थिरता
  • दूध और डेयरी उत्पाद: इनपुट कॉस्ट बढ़ने से मामूली इजाफा
  • मिर्च और लहसुन: फसल चक्र और स्टॉक कम होने का असर
  • टमाटर: जून में सस्ते थे, जुलाई के पहले हफ्ते में भाव 3 गुना बढ़े

विशेषज्ञ मानते हैं कि टमाटर की मौसमी कीमतों को छोड़ दें तो खाद्य महंगाई फिलहाल कंट्रोल में है.

इकोनॉमिस्ट क्या कह रहे हैं?

आर्थिक विशेषज्ञ दीपान्विता मजूमदार के मुताबिक, “खाद्य उत्पादों का उत्पादन बेहतर हुआ है, और यही गिरती महंगाई का आधार बना है. कच्चे तेल और मेटल की कीमतों में स्थिरता ने भी सप्लाई चेन को संतुलित किया है.” वह आगे कहती हैं कि अगले दो महीनों में यदि बारिश सामान्य रही, तो यह रुझान बना रह सकता है.

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महंगाई गिरी तो क्या फायदे होंगे आम लोगों को?

  • ईएमआई पर राहत: रिजर्व बैंक अब तक रेपो रेट 1% तक घटा चुका है. यानी होम, कार और एजुकेशन लोन की ईएमआई सस्ती हो रही है.
  • खर्च पर नियंत्रण: खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से घरेलू बजट हल्का महसूस हो रहा है.
  • बचत बढ़ने के आसार: जब आम जरूरतें सस्ती हो जाती हैं, तब लोग छोटी बचत की तरफ फिर से आकर्षित होते हैं.

क्या ये राहत स्थायी है?

यह सवाल सबसे अहम है. क्योंकि: जुलाई में टमाटर के दामों ने अचानक उछाल मारा है. मानसून की चाल निर्णायक होगी-यदि बारिश कमजोर रही तो अनाज और सब्जियों के दाम फिर चढ़ सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें अगर ऊपर जाती हैं, तो ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ेगी, जिससे महंगाई लौट सकती है.

पिछले 8 महीनों में क्या हुआ?

महीनामहंगाई दर (%)
अक्टूबर 20246.2
नवंबर 20245.3
दिसंबर 20244.8
जनवरी 20253.9
फरवरी 20253.2
मार्च 20253.0
अप्रैल 20252.9
मई 20252.8
जून 20252.6

आंकड़े राहत की कहानी सुना रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था की किताब में यह सिर्फ एक अध्याय है. चुनौती यह नहीं कि महंगाई गिरी है, असली चुनौती है – क्या हम इसे थामे रख पाएंगे? अगर सरकार, मौसम और वैश्विक बाजारों की चाल अनुकूल रही, तो आम आदमी को एक स्थायी राहत मिल सकती है. वरना, यह मौन राहत जल्द ही फिर से महंगाई की चीख में बदल सकती है.