मनोज यादव, कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर से प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक महिला की अधजली लाश को शव वाहन या एंबुलेंस की बजाय नगर पालिका की कचरा ढोने वाली गाड़ी में रखकर पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया।

क्या है पूरा मामला?

घटना बांकिमोंगरा थाना क्षेत्र की है। यहां एक महिला की अधजली लाश संदिग्ध हालात में मिली। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब शव की पहचान की तो मृतका का नाम गीता श्री विश्वास बताया गया। पुलिस ने मौके पर पूरी वैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजने की तैयारी की, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतने गंभीर मामले में भी शव वाहन या एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई।

पुलिस ने साउथ ईस्‍टर्न कोलफील्‍ड्स लिमिटेड (SECL) से शव वाहन की मांग की, लेकिन कोई सुविधा नहीं मिली। आखिरकार विवश होकर पुलिस को नगर पालिका की कचरा ढोने वाली गाड़ी में ही शव को रखकर अस्पताल भेजना पड़ा।

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गंभीर प्रशासनिक लापरवाही या संवेदनहीन सोच?

यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि जब जिंदा लोगों के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था उपलब्ध है, तो मौत के बाद किसी की लाश के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? जिस समाज में मृत शरीर को भी अंतिम सम्मान दिया जाता है, वहां इस तरह का कृत्य मानवता को झकझोरने वाला है।

यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत से जुड़ी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर करती है। जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को इस पर गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाएं दोबारा न हो। यदि समाज की गरिमा बनाए रखनी है, तो हमें जिंदा ही नहीं, मृतकों के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार करना सीखना होगा।

ASI निलंबित

इस मामले में कोरबा एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि वीडियो के आधार पर मामले को गंभीरता से लिया गया है. इस मामले में सबंधित अधिकारी ASI को सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले में और कौन-कौन दोषी है इस पर आगे की जांच की जा रही है.