यत्नेश सेन, देपालपुर(इंदौर) सावन की शुरुआत होते ही शिव भक्तों में एक अलग ही उत्साह का संचार हो जाता है। शिवालयों में भक्तों का हुजूम उमड़ता है। सावन माह के पहले सोमवार को आज हम आपको लेकर चलते हैं मध्यप्रदेश के एक अद्भुत शिव स्थल, सतकुई धाम, जहां विराजते हैं बाबा नीलकंठेश्वर महादेव। मान्यता है कि पितृ भक्त श्रवण कुमार भी अपने माता-पिता को लेकर इस मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचे थे। यह प्राचीन और चमत्कारी मंदिर अपनी कई खास विशेषताओं के लिए जाना जाता है।  

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यूं तो श्रावण मास में सभी शिवालयों में शिव भक्त उत्साह के साथ पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं, लेकिन सतकुई धाम का नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश के इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर बेहद प्राचीन है, जहां भगवान नीलकंठ विराजमान हैं। इस मंदिर से जुड़ी किवदंतियां इसे और भी खास बनाती हैं।  

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं 

मंदिर के पुजारी के अनुसार, यह शिवालय सैकड़ों वर्ष पुराना है। किवदंती है कि यहां एक दिव्य महात्मा शिव पूजन और तप-साधना करते थे। वे ध्यान मार्ग से प्रतिदिन गंगा स्नान के लिए जाते थे। मां गंगा ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि वे यहीं उनके लिए मौजूद रहेंगी। एक अन्य कथा के अनुसार, दो राजाओं ने अपनी संतानों के विवाह की चर्चा की थी। एक राजा को बेटी और दूसरे को बेटे की उम्मीद थी, लेकिन दोनों की संतानें बेटे ही निकलीं। क्रोधित राजा ने जब उपाय मांगा, तो महात्मा ने सुझाव दिया कि वे मंदिर के पास बने कुंड में स्नान करे। स्नान के बाद एक राजा का बेटा लड़की के रूप में प्रकट हुआ, और दोनों संतानों का विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद उस महात्मा ने मंदिर के पास ही जीवित समाधि ले ली।  

क्या कहा मंदिर के पुजारी ने 

“यह मंदिर बहुत प्राचीन है। यहां एक महात्मा तप करते थे, जो गंगा स्नान के लिए ध्यान मार्ग से जाते थे। मां गंगा ने उन्हें यहीं दर्शन दिए। साथ ही, कुंड की कथा भी प्रसिद्ध है, जहां स्नान से एक राजा का पुत्र कन्या के रूप में प्रकट हुआ था। यह स्थान चमत्कारी और पवित्र है।”  समय के साथ मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गया था, लेकिन अब शिव भक्तों ने इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है। मंदिर का नवीनीकरण कार्य तेजी से चल रहा है। शिल्पकार दिन-रात मेहनत कर पत्थरों को तराश रहे हैं, ताकि मंदिर को नया और भव्य स्वरूप मिले।  

उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में एक विशाल यज्ञशाला भी है, जहां वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ-हवन होते हैं। इसके अलावा, दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धर्मशाला और भोजन कक्ष का निर्माण भी किया गया है, ताकि यात्रियों को किसी तरह की असुविधा न हो।  

नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर बना आस्था का केंद्र 

सतकुई धाम का यह नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का संगम भी है। सावन के इस पवित्र माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर का जीर्णोद्धार इसे और भी भव्य बना रहा है। तो ये थी सतकुई धाम के नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की कहानी, जहां आस्था और चमत्कार का अनूठा संगम देखने को मिलता है। सावन में यदि आप भी शिव दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो इस प्राचीन मंदिर के दर्शन जरूर करें। 

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