देश में चल रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान, दोनों सदनों में 13 अगस्त से 17 अगस्त तक अवकाश रहेगा। लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें 18 अगस्त, सोमवार को सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। सोमवार को सरकार ने हंगामे के बीच कुछ विधेयक पारित किए, जबकि इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण विधेयक मंजूर किए गए थे। इस बीच, बिहार के एसआईआर मुद्दे को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है। विपक्षी सांसद संसद के भीतर और बाहर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इस सत्र के दौरान, विपक्षी सांसदों ने सदन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा किया, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाई।

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संसद मानसून सत्र के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अवकाश रहेगा। इस दिन संसद सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में स्वतंत्रता दिवस समारोहों में भाग लेंगे। इसी संदर्भ में, 13 और 14 अगस्त को भी अवकाश की घोषणा की गई है।

इसके साथ ही शनिवार और रविवार को दोनों सदनों की बैठक नहीं होती है, इसलिए अगली बैठक 18 अगस्त को होगी। उल्लेखनीय है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से प्रारंभ हुआ है और यह 21 अगस्त तक चलेगा।

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विपक्ष को लगातार घेर रही सरकार

मॉनसून सत्र की शुरुआत के साथ ही पहले ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष की नारेबाजी और विरोध के कारण लोकसभा में कार्यवाही बाधित रही। इसके बाद, लोकसभा में दो दिन तक ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हुई। इसके बाद, विपक्ष ने बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध करते हुए इस पर चर्चा की मांग की। तब से विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठाते हुए नारेबाजी कर रहा है। सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस पर चर्चा संभव नहीं है, क्योंकि यह चुनाव आयोग की प्रक्रिया है और संसद इस पर चर्चा नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि विपक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कई बार कहा है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने उनसे कहा है कि वे चाहते हैं कि सदन चले ताकि वे अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठा सकें। रिजिजू ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर भी निशाना साधा है।

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पीठासीन सभापति की तरफ से भी नसीहत

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने हर स्थगन के दौरान विपक्ष को चेतावनी दी है कि वे सदन की कार्यवाही को बाधित न करें, यह कहते हुए कि पूरा देश उनकी गतिविधियों को देख रहा है। पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने भी विपक्ष को सलाह दी है, विशेषकर उप-नेता प्रतिपक्ष का उल्लेख करते हुए, जिन्होंने सांसदों को वेल में जाकर नारेबाजी करने के लिए इशारा किया। उन्होंने इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को अनुचित करार दिया। विपक्ष अपनी मांगों को नारेबाजी और विरोध के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा है, जबकि सरकार इस स्थिति का उपयोग कर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि विपक्ष के नेता जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और सदन का महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर रहे हैं।