Odisha Revenue Employees Strike: भुवनेश्वर. ओडिशा राजस्व कर्मचारी संघ द्वारा कैडर पुनर्गठन, पदोन्नति और वेतन वृद्धि सहित 10 सूत्री मांगों को लेकर जारी हड़ताल के कारण राज्य भर के राजस्व कार्यालयों में 10 दिनों से अधिक समय से कामकाज बाधित है, जिससे जनता को काफी असुविधा हो रही है.
इस आंदोलन ने अब राजनीतिक मोड़ ले लिया है. ओडिशा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने बीजू जनता दल (बीजद) पर विरोध प्रदर्शनों की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
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Odisha Revenue Employees Strike
शनिवार को अपने आधिकारिक आवास पर संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मंत्री पुजारी ने दावा किया, “बीजद द्वारा संघ के कुछ नेताओं को आंदोलन को लंबा खींचने के लिए उकसाया जा रहा है. मेरे पास कुछ खास नेताओं के साथ उनकी बैठकों की रिपोर्ट है. उनका उद्देश्य मुद्दों को सुलझाना नहीं, बल्कि सरकार का विरोध करने के लिए कर्मचारियों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करना है.” उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पिछली बीजद सरकार कई अनसुलझे मुद्दे छोड़ गई थी, जिन्हें वर्तमान प्रशासन सुलझाने के लिए काम कर रहा है. पुजारी ने आश्वासन दिया, “कैडर पुनर्गठन प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है.” उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न जिलों के कई कर्मचारियों ने एसोसिएशन नेताओं की गलत सूचना का हवाला देते हुए सोमवार तक काम पर लौटने की इच्छा जताई है. उन्होंने कड़ी चेतावनी दी कि अगर हड़ताल जारी रही, तो सरकार “काम नहीं, वेतन नहीं” की नीति लागू कर सकती है. उन्होंने कहा, “राजस्व विभाग के पास कई उपकरण उपलब्ध हैं.”
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Odisha Revenue Employees Strike: बीजद ने इन आरोपों का कड़ा खंडन किया है. पार्टी प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने मंत्री की आलोचना करते हुए कहा, “मंत्री सुरेश पुजारी की अक्षमता के कारण मुद्दे अनसुलझे हैं. इन पर ध्यान देने के बजाय, वह बीजद पर उंगली उठा रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है.”
वरिष्ठ बीजद नेता और पूर्व मंत्री अशोक चंद्र पंडा ने भी इसी भावना को दोहराते हुए मीडिया से कहा, “मंत्री की टिप्पणी सड़कों पर चलना न जानने का आरोप लगाने जैसी है. कर्मचारियों की मांगें जायज़ हो सकती हैं. सरकार को दोष मढ़ने के बजाय अपने विभाग की समस्याओं का समाधान करना चाहिए.”
Odisha Revenue Employees Strike: जैसे-जैसे गतिरोध जारी है, बाधित सेवाओं का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है, जबकि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज़ होता जा रहा है. सरकार के अगले कदम और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया ही तय करेगी कि इस गतिरोध का समाधान होगा या और बढ़ेगा.
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