अजयारविंद नामदेव, शहडोल। shahdol photocopy Bill: मध्य प्रदेश के शहडोल से भ्रष्टाचार के ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसकी चर्चा पूरे देश भर में होने लगी। इसी सिलसिले में एक और चौंकाने वाला मामला जनपद पंचायत जयसिंहनगर के ग्राम पंचायत कुदरी से सामने आया है। जहां दो पन्ने की फोटो कापी के लिए 4000 रुपये का भुगतान करना दिखाया गया है। ये बिल चर्चाओं में आने के साथ साथ सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। 

2000 रुपये प्रति पन्ना की दर से किया भुगतान

दरअसल, जिले के जनपद पंचायत जयसिंहनगर के ग्राम पंचायत कुदरी में सचिव और सरपंच की मिलीभगत से एक ऐसा बिल पास किया गया है, जिसे देखकर कोई भी हैरान रह जाए। बिल के अनुसार केवल दो पन्नों की फोटो कॉपी कराने के लिए 2000 रुपये प्रति की दर से 4000 रुपये का भुगतान दिखाया गया है। यह बिल राज फोटो कॉपी सेंटर एवं डिजिटल स्टूडियो के फर्म के नाम से बनाया गया है। इसके साथ ही और भी सामग्री का जिक्र किया गया है। 

सरपंच सचिव ने पास किया बिल

हैरत  की बात तो यह कि दो पन्ने की फोटो कापी के बिल का भुगतान 4 हजार के लिए सरपंच सचिव ने अपनी मोहर लगाकर इस बिल को पास करा भुगतान भी करा दिया। जहां आमतौर पर फोटो कॉपी 1 या 2 रुपये में हो जाती है, वहीं इस कागजी खेल में हजारों रुपये खर्च दिखाए गए हैं। यह मामला पंचायत व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है।

सरकारी राशि का दुरुपयोग

यह कोई पहला मामला नहीं है जब शहडोल की पंचायतों ने सरकारी योजनाओं और राशि का दुरुपयोग किया हो। आए दिन सामने आने वाले ऐसे कारनामे यह साबित करते हैं कि विकास कार्यों के नाम पर आई राशि का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच रहा। जिम्मेदार लोग कागजों पर ऐसे बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने में लगे हुए हैं।

जिले में भ्रष्टाचार की नई-नई परतें हर दिन सामने आ रही हैं। प्रशासन के सामने आए मामलों को देखकर लगता है कि यहां जिम्मेदारों के लिए सरकारी राशि सिर्फ हेराफेरी का जरिया बनकर रह गई है। पहले जहां 4 लीटर पेंट से पुताई के नाम पर 168 मजदूर और 68 राज मिस्त्री लगाकर एक लाख सात हजार का बिल पास कराया गया था। फिर जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत एक घंटे की चौपाल में 14 किलो ड्राई फ्रूट, 6 लीटर दूध और 5 किलो चीनी का बिल बनाकर सरकारी खजाने पर डाका डाला गया।

बचने से नजर आ रहे जिम्मेदार

शहडोल जिले में बार-बार सामने आ रहे ऐसे भ्रष्टाचार के मामले प्रशासन की कार्यप्रणाली और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। विकास कार्यों की राशि यदि इसी तरह कागजों पर हेराफेरी में उड़ती रही, तो आमजन तक योजनाओं का लाभ कभी नहीं पहुंच पाएगा। इस पूरे मामले में जिम्मेदार कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस नए फोटो कॉपी घोटाले पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और क्या जिम्मेदारों को सजा मिल पाती है या मामला पहले की तरह दबा दिया जाएगा ?

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