दिल्लीवासियों के लिए राहत भरी खबर है। पांच दिनों तक लगातार खतरे के निशान से ऊपर बहने वाली यमुना नदी का जलस्तर अब घटकर रविवार रात को 205.33 मीटर पर पहुंच गया है। यह स्तर खतरे के निशान से नीचे है। अधिकारियों के अनुसार, यह बड़ी राहत की बात है क्योंकि पिछले पांच दिनों से नदी का जलस्तर लगातार खतरे के स्तर से ऊपर बना हुआ था। इस दौरान राजधानी के कई निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए। कई परिवारों को सुरक्षा के मद्देनजर शेल्टरों में भी ठहराया गया। प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। राहत जरूर मिली है लेकिन खतरे को पूरी तरह टाला नहीं जा सकता, इसलिए सतर्कता बरती जा रही है।

लगातार बढ़ता रहा था जलस्तर

दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आने के बाद हालात में सुधार होने लगा है। राजधानी में यमुना नदी के लिए चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है। बीते मंगलवार को जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था, जिसके चलते प्रशासन ने पुराने लोहे के रेलवे पुल पर आवाजाही बंद कर दी थी। अब जलस्तर में कमी आने के बाद इस पुल से ट्रेनों की आवाजाही दोबारा शुरू कर दी गई है। साथ ही, बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जिन रेलगाड़ियों को रद्द किया गया था, उनका परिचालन भी धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पुल और जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

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10 हजार लोग विस्थापित

दिल्ली में यमुना नदी के उफान के चलते बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। तेज बहाव के कारण नदी किनारे के निचले इलाकों में पानी भर गया, जिससे करीब 10 हजार लोग विस्थापित हो गए हैं। प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकालकर अस्थायी शिविरों में ठहराया गया है। प्रशासन ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, मोरी गेट के पास और मयूर विहार क्षेत्रों में राहत कैंप बनाए हैं, जहां प्रभावित परिवारों के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था की गई है। अधिकारियों का कहना है कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर और भी कैंप स्थापित किए जाएंगे।

रेलवे पुल से ट्रेनों की आवाजाही शुरू

पानी बढ़ने की वजह से पुराने लोहे के रेलवे पुल पर आवाजाही रोक दी गई थी। अब जलस्तर घटने के बाद पुल से रेलगाड़ियों का परिचालन फिर से शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही कई रद्द की गई ट्रेनों को भी बहाल कर दिया गया है।

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2023 की बाढ़ से तुलना

दिल्ली में इस साल यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे जरूर आ गया है, लेकिन राजधानी के लोगों को साल 2023 की बाढ़ अब भी याद है। उस समय हालात बेहद खराब हो गए थे और कई इलाके पानी में डूब गए थे। रिकॉर्ड के अनुसार, 13 जुलाई 2023 को यमुना नदी 208.66 मीटर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। इस उफान ने दिल्ली के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया था। बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन को बड़े पैमाने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना पड़ा था। उस वक्त 25 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछली बार के अनुभव से सबक लेते हुए इस साल प्रशासन ने निगरानी और राहत कार्यों पर पहले से ज्यादा ध्यान दिया, जिससे हालात काबू में रहे।

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खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं

यमुना नदी के जलस्तर में आई कमी से दिल्लीवासियों को फिलहाल आंशिक राहत मिली है। बाढ़ जैसी स्थिति झेल रहे कई इलाकों से अब धीरे-धीरे पानी उतरने लगा है। जिन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था, उन्हें राहत कैंपों और शेल्टरों में अस्थायी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रशासन का कहना है कि हालात सामान्य होने में अभी समय लगेगा। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि खतरा पूरी तरह टला नहीं है। इसलिए यमुना के बहाव और जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है और सुरक्षा के सभी इंतजाम फिलहाल जारी रहेंगे।

लगातार बढ़ता रहा था जलस्तर

2 सितंबर को यमुना का स्तर चेतावनी स्तर पार कर गया था और इसके बाद खतरे का निशान भी पार कर गया। 4 सितंबर को यह इस साल के उच्चतम स्तर 207.48 मीटर तक पहुंच गया था। जलस्तर 206 मीटर से ऊपर जाते ही प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना शुरू कर दिया था।

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