पटना। बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी ने राजनीतिक सरगर्मियों को तेज़ कर दिया है। इसी बीच लोकप्रिय लोक व भक्ति गायिका मैथिली ठाकुर को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मैथिली ठाकुर आगामी विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा सकती हैं। चर्चा को हवा तब मिली जब उनकी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई।

नेताओं से मुलाकात के बाद अटकलें तेज

हाल ही में मैथिली ठाकुर ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की। इस दौरान उनके पिता भी साथ मौजूद थे। दोनों भाजपा नेताओं ने न सिर्फ उनके योगदान की सराहना की बल्कि यह भी कहा कि बिहार की जनता को मैथिली से काफी उम्मीदें हैं। विनोद तावड़े ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा 1995 में लालू राज में जो परिवार बिहार छोड़कर गए थे उनमें से एक परिवार की बिटिया मैथिली ठाकुर अब बदले बिहार को देखकर वापस आना चाहती हैं। हमने आग्रह किया कि वह बिहार की जनता और विकास में योगदान दें।

मैथिली ठाकुर ने क्या कहा?

मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने जब मैथिली से चुनाव लड़ने की खबरों पर सवाल किया, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा मैं भी टीवी और सोशल मीडिया पर ये खबरें देख रही हूं। हाल ही में बिहार यात्रा के दौरान मेरी मुलाकात नित्यानंद राय और विनोद तावड़े जी से हुई थी। हमने बिहार के भविष्य और युवाओं की भूमिका पर चर्चा की। अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है। देखते हैं आगे क्या होता है। मैथिली ने यह भी कहा कि अगर वह चुनाव लड़ती हैं तो अपने गांव के क्षेत्र से ही लड़ना चाहेंगी, क्योंकि उस जगह से उनका गहरा जुड़ाव है।

राजनीति में आने के सवाल पर दिया जवाब

जब उनसे यह पूछा गया कि वह बिहार चुनाव में किसे समर्थन देंगी, तो मैथिली ने स्पष्ट कहा मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। मेरा मकसद है देश और समाज के विकास में अपना योगदान देना। अगर भविष्य में मुझे मौका मिलता है तो मैं पूरी ईमानदारी से देश की सेवा करना चाहूंगी।

लोकगायिका से जननेता बनने की ओर?

मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं और ग्रामीण समुदायों में काफी है। उनकी संगीत के जरिए सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने की कोशिशों ने उन्हें एक सशक्त जनसंपर्क वाली शख्सियत बना दिया है। ऐसे में अगर वह राजनीति में उतरती हैं तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ हो सकता है।