Navjot Sidhu and Bharat Bhushan Ashu Comeback: लुधियाना. पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर हलचल देखने को मिल रही है. पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और भारत भूषण आशु अब दोबारा सक्रिय हो गए हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद दोनों नेताओं ने राजनीति से दूरी बना ली थी. लेकिन अब सिद्धू ने तीन दिन पहले दिल्ली में प्रियंका गांधी से मुलाकात की, वहीं भारत भूषण आशु लुधियाना में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं.
भारत भूषण आशु का पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के साथ लंबे समय से मतभेद रहा है. ये मतभेद विधानसभा उपचुनाव के दौरान और भी स्पष्ट हो गए थे. उपचुनाव में हार के बाद आशु ने राजनीतिक गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि, सिद्धू की प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद आशु ने भी लुधियाना में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं.
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वड़िंग की रणनीति और आशु का जवाब (Navjot Sidhu and Bharat Bhushan Ashu Comeback)
वड़िंग ने आशु के विधानसभा क्षेत्र लुधियाना पश्चिमी में पूर्व जिला अध्यक्ष और चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी के करीबी पवन दीवान को समर्थन देना शुरू कर दिया है. वड़िंग 2027 के विधानसभा चुनाव तक पवन दीवान को आशु के सामने एक मजबूत दावेदार के रूप में तैयार करने की कोशिश में हैं.
दूसरी ओर, आशु ने पिछले दो-तीन दिनों में अपने क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं. उन्होंने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ दो ब्लॉक स्तर की बैठकें कीं, जिनमें पूर्व पार्षद, पार्षद चुनाव लड़ चुके नेता और उनके समर्थक शामिल हुए. आशु ने कार्यकर्ताओं को अपने-अपने वार्डों में लोगों से संपर्क बढ़ाने और नगर निगम व अन्य कार्यालयों से संबंधित बुनियादी सुविधाओं की समस्याओं को हल करने के निर्देश दिए.
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“वोट चोर कुर्सी छोड़ो” मुहिम में शामिल नहीं हुए आशु (Navjot Sidhu and Bharat Bhushan Ashu Comeback)
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष वड़िंग ने पहले चंडीगढ़ और फिर लुधियाना के बचत भवन में बैठकें बुलाई थीं, लेकिन आशु इनमें से किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए. कांग्रेस ने बचत भवन की बैठक में सभी हलका इंचार्ज और ब्लॉक प्रमुखों को बुलाया था, लेकिन आशु वहां भी अनुपस्थित रहे.
हालांकि, शनिवार को आशु ने “वोट चोर कुर्सी छोड़ो” अभियान के लिए अपने हलके के ब्लॉक प्रमुखों से फॉर्म एकत्र किए और उन्हें ऑब्जर्वर रमेश जोशी को सौंप दिया.
सिद्धू और आशु के बीच भी तनाव (Navjot Sidhu and Bharat Bhushan Ashu Comeback)
सिद्धू और भारत भूषण आशु के बीच भी पुराने मतभेद रहे हैं. अगर सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में फिर से सक्रिय होते हैं, तो कांग्रेस के भीतर आशु के लिए एक और विरोधी धड़ा उभर सकता है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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