नई दिल्ली. जस्टिस शरद अरविंद बोमडे (एसए बोबडे) भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. राष्ट्रपति राम नाथ कोबिंद ने उन्हें अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिनकी जगह जस्टिस बोबडे लेंगे. जस्टिस बोबडे का शपथग्रहण समारोह 18 नवम्बर को होगा. जस्टिस बोमडे का कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक होगा.
नागपुर में हुआ जन्म
जस्टिस रंजन गोगोई की तरफ से बोबडे को मुख्य न्यायाधीश बनाने का प्रस्ताव दिया गया था. बता दें कि जब भी कोई मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रिटायर हो रहा होता है, तो वो अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करता है. बोबडे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. उनका जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वो साल 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने. इसके बाद साल 2012 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने.
अहम मामलों की सुनवाई में रहे शामिल
जस्टिस बोमडे साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनें. सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए उन्होंने कई अहम मामलों की सुनवाई की है. इसमें इसमें अयोध्या मंदिर-मस्जिद केस, बीसीसीआई और पटाखे जैसे मामले शामिल हैं.
महत्वपूर्ण फ़ैसले
न्यायाधीश बोबडे ऐसी कई बेंच में शामिल रहे जिन्होंने कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाए. इनमें आधार कार्ड से जुड़े फ़ैसले भी शामिल हैं.
एक अन्य मामला उस महिला का है जिसे गर्भपात की इजाज़त नहीं दी गई क्योंकि भ्रूण 26 हफ्ते का हो चुका था और डॉक्टरों का कहना था कि जन्म के बाद शिशु के जीवित रहने की संभावना है.
कर्नाटक सरकार ने माता महादेवी नामक एक किताब पर इस आधार पर प्रतिबंध लगाया था कि इससे भगवान बासवन्ना के अनुयायियों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. न्यायाधीश बोबड़े उस बेंच में शामिल थे जिसने इस प्रतिबंध को बरकरार रखा था.
वे उस बेंच का भी हिस्सा थे जिसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भारी प्रदूषण की वजह से पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. न्यायाधीश बोबड़े अयोध्या विवाद और एनआरसी से संबंधित बेंच में भी रहे. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोगोई के ख़िलाफ़ जब एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, तो उन्होंने इस मामले में उठाए जाने वाले कदमों को तय करने के लिए न्यायाधीश बोबडे से कहा.
उस समय मुख्य न्यायाधीश गोगोई की आलोचना हो रही थी. न्यायाधीश बोबडे ने न्यायाधीश एनवी रमन और न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी साथ इस आरोप की जांच-पड़ताल की थी जिसमें शिकायत को ग़लत पाया गया था. लेकिन इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया जिस पर काफ़ी विवाद हुआ था.
न्यायाधीश बोबडे ने छह वर्ष पूर्व स्वेच्छा से अपनी सम्पत्ति ज़ाहिर की थी. इसमें उन्होंने अपनी बचत 21,58,032 रूपये और फिक्स्ड डिपोज़िट 12,30,541 रूपये बताए थे. उनके पास इसके अलावा मुंबई के एक फ्लैट में हिस्सा है और नागपुर में दो इमारतों का मालिकाना हक़ है.