इंदौर/लद्दाख। कैंसर जागरूकता को नई ऊंचाइयों तक ले जाते हुए देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन ने एक अनूठी पहल की है। फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अजय हार्डिया और सह-संस्थापिका मनीषा शर्मा ने देश के सबसे ऊंचे मोटरेबल पास उमलिंगला पास (19,024 फीट) पर पहुंचकर कैंसर जागरूकता पोस्टर का विमोचन किया।

यह स्थान विश्व के सबसे दुर्गम और ऊंचे क्षेत्रों में से एक माना जाता है, जहां ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम होता है और मौसम अत्यंत प्रतिकूल रहता है। ऐसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में पोस्टर लॉन्च कर टीम ने कैंसर मरीजों और उनके परिवारों को हौसला देने का संदेश दिया कि “कैंसर से लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन हमारी उम्मीद उससे कहीं ज्यादा मजबूत है।”

मुश्किलों के बीच उम्मीद का पैगाम

डॉ. हार्डिया और मनीषा शर्मा की इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जागरूकता की कोई सीमा नहीं होती, हौसला हर कठिनाई से बड़ा होता है और कैंसर के खिलाफ जंग केवल अस्पतालों में नहीं, समाज की चेतना में भी लड़ी जाती है।

डॉ. हार्डिया ने कहा कि “ऊंचाई पर चढ़ना मुश्किल था, लेकिन कैंसर से जूझ रहे लोगों की जद्दोजहद उससे कहीं बड़ी है। हम बस यह संदेश देना चाहते हैं कि सही जानकारी और समय पर इलाज से कैंसर को हराया जा सकता है।” मनीषा शर्मा ने कहा कि “यह अभियान उन सभी लोगों को समर्पित है जो हिम्मत नहीं हारते। हमारी कोशिश है कि देश के हर कोने में कैंसर को लेकर जागरूकता फैले।”

इलेक्ट्रो होम्योपैथी से उपचार की पहल

देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन इंडौर में इलेक्ट्रो होम्योपैथी आधारित कैंसर केयर के लिए जाना जाता है। फाउंडेशन का उद्देश्य मरीजों को दर्द रहित उपचार विकल्प, रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना, जीवनशैली और मानसिक मजबूती पर फोकस, किफायती और सुलभ थेरेपी जैसी सेवाएं उपलब्ध कराना है। फाउंडेशन का मानना है कि कैंसर केवल शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक चुनौती भी है और holistic approach ही मरीजों को वास्तविक राहत देती है।

समाज को प्रेरित करने वाला कदम

यह केवल पोस्टर लॉन्च नहीं, यह संदेश है विश्वास का, साहस का और निरंतर प्रयास का। इस अभियान ने यह साबित किया है कि कैंसर के खिलाफ जंग में अगर लोग साथ आ जाएं, तो कोई भी ऊंचाई मुश्किल नहीं।

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