कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिवीजन  भर्ती परीक्षा-2022 के परिणाम पर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) अभ्यर्थियों के चयन पर पुनर्विचार किया जाए। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने “एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस” की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। 

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याचिका में भर्ती के नियम 194 में संशोधन को चुनौती दी गई थी। दरअसल, सिविल जज भर्ती-2022 में कुल 199 पदों के लिए विज्ञापन निकला था, जिसमें बैकलॉग के पद भी शामिल थे। इसमें अनारक्षित वर्ग: 48 में से 17 बैकलॉग,  SC: 18 में से 11 बैकलॉग , ST: 121 में से 109 बैकलॉग ,  OBC: 10 में से 1 बैकलॉग है। 

मेन्स और इंटरव्यू के बाद अंतिम रूप से 89 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। हैरानी की बात यह रही कि इन 89 चयनित अभ्यर्थियों में ओबीसी वर्ग के 15 अभ्यर्थी तो शामिल थे, लेकिन SC वर्ग के केवल 3 और ST वर्ग का एक भी अभ्यर्थी जगह नहीं बना पाया। याचिकाकर्ता का कहना था कि इतनी बड़ी संख्या में बैकलॉग पद होने के बावजूद SC-ST अभ्यर्थियों का इतना कम प्रतिनिधित्व संवैधानिक आरक्षण के मूल उद्देश्य पर सवाल खड़े करता है। 

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साथ ही नियम 194 में किए गए संशोधन को भी असंवैधानिक बताया गया। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए अंतिम निर्णय तक सुरक्षित रखा है, लेकिन फिलहाल SC-ST अभ्यर्थियों के चयन पर पुनर्विचार करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि कोई अभ्यर्थी योग्य पाया जाता है तो उसे नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाए। 

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