रायपुर। वन विभाग की माने तो उन्होंने गणेश हाथी के लिए उचित रहवास की व्यवस्था कर ली है. इसके साथ ही वनांचल में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर भी. विभाग का दावा है कि अब गणेश हाथी से किसी भी तरह कोई जान-माल का नुकसान नहीं होगा. क्योंकि गणेश अपने उचित वन क्षेत्र में रहने लगेगा.
दरअसल गणेश हाथी को लेकर गठित अधिकारियों की बैठक रायगढ़ में हुई. अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी एस.के.सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में गणेश हाथी के रहवास, उस इलाके में रहने वाले लोगों की सुरक्षा जैसे विभिन्न मसलों पर चर्चा हुई. एस.के.सिंह का कहना है कि धरमजयगढ़ एवं आसपास के सघन वनों में हाथी विचरण करते है और कई बार ओडिसा एवं अन्य राज्यों से यहां आकर यहां के बाशिंदे के समान बन जाते है. भोजन, पानी एवं सुरक्षा मिलने पर ये उसी के अनुरूप अपना विचरण क्षेत्र (कॉरिडोर)बनाते है. कई बार यह क्षेत्र 1000 कि.मी.भी हो सकता है.
उन्होंने कहा कि ओड़िसा से आने वाले हाथी यहां से वापस नहीं जा रहे हैं और यहां निवास करने लगेे हैं, जिससे जटिल समस्याएं आयी है. जिसके समाधान के लिए हमें प्रयास करना है. उन्होंने कहा कि वहीं मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से भी हाथियों का यहां आवागमन बढ़ा है. उन्होंने कहा कि हाथी रहवास क्षेत्र विकास करते समय जल स्त्रोतों का विशेष ध्यान रखा जायेगा.
उन्होंने कहा कि गणेश हाथी के आक्रामक होने से जनधन की हानि हुई हैं. गणेश हाथी कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ एवं रायगढ़ वनमंडल के वन क्षेत्र में विचरण करता है, मुख्यतः गणेश हाथी धरमजयगढ़ वनमंडल में ज्यादा विचरण करता है. गणेश हाथी के द्वारा रायगढ़ वनमंडल अंतर्गत घरघोड़ा, तमनार एवं रायगढ़ परिक्षेत्र के अंतर्गत विचरण किया गया. उन्होंने कहा कि गणेश हाथी के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए ‘कॉलर आईडी’ लगाया गया है. जिससे जमीनी स्तर में वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हाथियों के विचरण की पूरी खबर मिलते रहती है. उन्होंने हाथियों के विचरण क्षेत्र जहां लोगों का भी आवागमन हो ऐसे क्षेत्रों को चिन्हांकित करते हुए वहां बेरियर लगवाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रचार-प्रसार के लिए कला जत्था एवं मीडिया का भी सहयोग लेना चाहिए. इन क्षेत्रों में जनधन हानि को कम करने के प्रयास कारगर होगी, जिससे हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को तत्काल राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि इन प्रभावित क्षेत्रों में एहतियात रखना बहुत जरूरी है. जनहानि होने पर प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत के लिए सुरक्षित स्थानों एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां एवं फोन नंबर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के फोन नंबर उपलब्ध होना चाहिए. इसके लिए सभी वनमंडलाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा सकते है. आपसी चर्चा एवं सुझावों के बेहतर परिणाम सामने आयेंगे.
जिला पंचायत सीईओ ऋचा प्रकाश चैधरी ने कहा कि हाथी द्वारा फसल को नष्ट कर देने पर उसका मुआवजा भी दिया जाएगा वहीं मेढ़ टूटने एवं खेत समतलीकरण के लिए मनरेगा के तहत मजदूरी की राशि भी प्रदान की जाएगी. सरगुजा के डीएफओ ने बताया कि वनमार्ग में जोखिमपूर्ण रास्तों में हाथी के आवागमन को देखते हुए ऐलिफेन्ट एरिया बेरियर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि बस्ती से पृथक घरों को भी हाथी उजाड़ देते है. उन्होंने कहा कि रेडियो एवं एप पर भी हाथी के प्रतिदिन के विचरण की जानकारी दी जा सकती है. उन्होंने बताया कि स्थानीय कोटवार को बुलाकर गांव में हाथियों के आवागमन की सूचना मुनादी करवाकर दी जा रही है. स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं सरपंच भी हाथी प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है.
किसानों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि छाल रेंज के किसानों को हाथी के विचरण से तकलीफ उठानी पड़ रही है. जंगल एवं खेत-खलिहान जाने में भी हाथियों का भय बना रहता है, ऐसे में इस दिशा में हाथियों के रहवास के लिए किया जा रहा यह प्रयास प्रभावी सिद्ध होगा. धरमजयगढ़ के कर्मचारी ने बताया कि गणेश हाथी के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए ‘कॉलर आईडी’ लगाया गया है. हाथी प्रभावित क्षेत्र हाथी के आगमन की सूचना देने के लिए दो पाली में वनविभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि वे उस क्षेत्र में न जायें। वहीं अधिकारियों ने बताया कि ओडिसा में हाथियों के के लोकेशन की सूचना देने के लिए एन्ड्राईड बनाया गया है. नई टेक्नालॉजी से लोकेशन की सूचना मिलने से ग्रामवासियों को बताया जा सकता है, ताकि वे सतर्क रहे। इसके लिए सतत् निगरानी रखने की जरूरत है। इस अवसर पर डीएफओ रायगढ़ बंजारे एवं धरमजयगढ़ वनमंडल, कोरबा, सरगुजा, कटघोरा के डीएफओ एवं एनजीओ, हाथी प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामवासी एवं मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे.