पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। आदिवासी विकासखंड मैनपुर के फरसरा में जय माता दी महिला स्वसहायता समूह की 10 महिलाएं पिछले एक सप्ताह से गोबर के दीये बनाने में जुट गई है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इन्हें 1 लाख रुपए ऋण दिया गया. 50 हजार रुपए निकाल कर महिलाओं ने महज 6 हजार खर्च किया है. इसमें दीये के सांचा समेत 3 हजार का मटेरियल खरीदा. दिन रात मेहनत कर ढाई हजार गोबर के दीये, ॐ, स्वस्तिक, शुभ लाभ, जैसे प्रतीक चिन्ह तैयार किया है.
अमलिपदर क्लस्टर की प्रभारी निधि साहू ने बताया कि जिला मुख्यालय में लगने वाले स्टॉल के लिए 1500 दीये भेजा गया है. 2 रूपए की दर पर इन्हें 3 हजार भुगतान होना है. बाकी दीये लोकल बाजार मे बिकने के लिए आ चुकी है. इसी तरह सरनाबहाल के हिमांसी समूह रुई की बाती बनाकर आय का स्रोत तय कर लिया है. फरसरा महिला समूह की अध्यक्ष पंचमी बाई, सचिव निर्मति बाई ने बताया कि खेती सीजन खत्म होने के बाद उनके हाथों में काम नहीं था. अब उन्हें रोजगार के लिए भटकना नही पड़ रहा है. फिलहाल एक दिन में 6 घंटे समय लगाकर एक हजार दीये बना रहे हैं. दो दिन पहले बिक्री होना शुरू हुआ है. मांग आने लगी है, अब दिन रात मेहनत करेंगे. 6 कि बजाए 8 से 10 घंटे का समय लगाने समूह की महिलाएं तैयार है.
कलेक्टर बोले गुजरात तक भेजेंगे दीये
गरियाबंद कलेक्टर पद पर आसीन होने से पहले नीलेश क्षीरसागर आजीविका मिशन के संचालक का भार दो बार सम्भाल चुके हैं. 1 नवम्बर को पदभार लेने के बाद,पहली बैठक में ही आजीविका मिशन को गति लाने आवश्यक निर्देश जारी कर दिया. मिशन के तहत बन रहे सामग्रियों के बिक्री को प्रोत्साहन देने गरियबंद में स्टॉल लगाने निर्देश दिए. कलेक्टर के इस फैसले ने समूह को बल दे दिया. कलेक्टर क्षीर सागर ने कहा कि शुरुआती दौर में सामग्री बनवाने प्रोत्साहन दिया जा रहा है. आगे चल कर ज्यादा मात्रा में बनाया जा सके इसके लिए रूपरेखा बनाया जा रहा है. जनजाति से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के हाथों बनी गोबर के दीये राज्य स्तर पर बिकने जाएगा. वहां से जल्द ही गुजरात तक पहुंचेगा.
बैंकिग सेवा दुरस्त करेंगी बैंक सखी
कलक्टर ने बताया कि देवभोग व मैनपूर जैसे जगहों में जहां बैंक की संख्या कम है, वहां के समूह व खाता धारकों को बैंकिंग की सुचारू सेवा सुलभ हो, उसके लिए बैंक सखी जल्द ही नियुक्त होंगे, प्रत्येक दो गांव के लिए एक सखी होंगी.