रायपुर. आज लगभग हर घर में लिज्जत पापड़ के स्वाद को चाहने वाले आपको मिल जाएंगे. लेकिन ये नाम हर घर तक ऐसे ही नहीं पहुंचा. इसके लिए कुछ बहनों ने कड़ी मेहनत की.
कहते है कि मुंबई की रहने वाली जसवंती जमनादास पोपट ने अपना परिवार चलाने के लिए 1959 में पापड़ बेलने का काम शुरू किया था. जसवंती बेन गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी और कम पढ़ी-लिखी भी थी लेकिन उनमें कारोबार की अच्छी समझ थी.
उन्होंने इस काम में अपने साथ और छह गरीब बेरोजगार महिलाओं को जोड़ा और 80 रुपये का कर्ज लिया और पापड़ बेलने का काम शुरु किया.
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उनके साथ शामिल हुईं महिलाओं के नाम थे उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, बानुबेन तन्ना, जयाबेन विठलानी और उनके साथ एक और महिला थी, जिसे पापड़ों को बेचने की जिम्मेदारी ली थी.