अंबिकापुर. देश में यातायात की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेल की पटरी उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में आकर रुक गई है.  जबकि क्षेत्र की जनता लगातार रेलवे विस्तार की मांग कर रही है.

ऐसे में कोरबा से अम्बिकापुर होते हुए रेनुकोट को जोड़ना सबसे सटीक व उपयोगी साबित होगा वस्तुतः यह कम लागत में ज्यादा उपयोगी व सटीक रेलवे लाइन का प्रस्ताव है. क्योंकि विश्रामपुर से भटगांव व सूरजपुर रोड से परसा केते माइंस तक कोल परिवहन हेतु रेल लाइन पहले से मौजूद है.  ऐसे में भटगांव से म्योरपुर (रेनुकोट उत्तर प्रदेश) लगभग 95 किलोमीटर तथा परसा केते से कटघोरा लगभग 70 किलोमीटर रेल लाइन बिछा देने से न सरगुजा सीधे भारत के मुख्य रेल मार्गों से जुड़ जाएगा.

कोरबा से रेनुकोट बरास्ता अम्बिकापुर रेल लाइन विस्तार, सरगुजा समेत छत्तीसगढ़ व पड़ोसी राज्यों के लिए वरदान साबित होगा. इस रेल लाइन को मंजूरी मिल जाने से यह न केवल सरगुजा संभाग की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने के लिए बहुत जरूरी है.

सरगुजा में सुस्थापित रेल प्रणाली का विस्तार हो जाने से देश के दूरतम स्थानों तक सुविधाजनक अवागमन संभव हो जाएगा, साथ ही व्यापार, पर्यटन, तीर्थ और शिक्षा व स्वास्थ्य तक जरूरी पहुंच संभव हो जाएगी. उद्योग और कृषि की गति को त्वरित विकासशील करने में सहायता मिलेगी.  इस दिशा में रेलवे सर्वेक्षण हेतु वर्ष 2016 से 2019 तक विभिन्न चरणों में सर्वेक्षण पूरा करने के लिए बजट का आंबटन किया जा चुका है और सर्वेक्षण का कार्य पूर्णता की ओर है ऐसे में क्षेत्र की जनता द्वारा रेल विस्तार की मांग का मुद्दा उठाना जरुरी भी हो जाता है.

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इस दिशा में रेलवे द्वारा बीते वर्षों से तीन सर्वेक्षण हो रहे

  1. भटगांव – प्रतापपुर – वाड्रफनगर– रेनुकोट के बीच नई रेल लाइन
  2. कोरबा से रेनुकोट व्हाया अम्बिकापुर नई रेल लाइन
  3. अम्बिकापुर से म्योरपुर – चोपन को दिल्ली मेन रेल लाइन से जोड़ने के लिए नई रेल लाइन

यह तीनों ही सर्वेक्षण अंबिकापुर रेल लाइन को रेनुकोट व कोरबा रेल लाइन से जोड़ने के लिए हैं. ऐसे में कम व सटीक ख़र्च में उत्तर छत्तीसगढ़ सरगुजा संभाग को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व प्रदेश की राजधानी रायपुर तक से सीधे रेलवे मार्ग से जोड़ा जा सकता है.

सोशल मीडिया पर हो रहा ट्रेंड

बीते कुछ महीनों से क्षेत्र के लोगो द्वारा हैश टैग #सरगुजा_मांगे_रेल_विस्तार ट्रेंड हो रहा है. जिसका उद्देश्य क्षेत्र की आवाज को रेल विभाग, सरकार, जनप्रतिनिधिओं व सक्षम नेताओं तक पंहुचना है. साथ ही जनता के बीच इस मुद्दे को जन आंदोलन के रूप में खड़ा करना है.  ट्वीटर, फेसबुक, इंस्ट्रागाम ब्लॉग इत्यादि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हजारों पोस्ट किए जा चुके हैं. जिसमें क्षेत्र के लोग दलगत राजनीति से ऊपर उठ बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. जल्द ही सरगुजा मांगे रेल विस्तार की आवाज सड़क से लेकर संसद तक सुनाई देगी.

स्थानीय नेताओं, विधायक मंत्री व सांसदों से उम्मीदें

सरगुजा लोकसभा सांसद रेणुका सिंह केंद्र में राजयमंत्री हैं.  स्थानीय विधायक और टीएस सिंहदेव राज्य सरकार कैबिनेट मंत्री हैं.  क्षेत्र से राज्य सरकार में अमरजीत भगत, प्रेमसाय सिंह भी मंत्री हैं. राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम भी सरगुजा से हैं. कई नेता बोर्ड के अध्यक्ष व सदस्य भी हैं. इनके आलावा इस क्षेत्र से विभिन्न राजनितिक दलों के केंद्र व प्रदेश स्तर के पूर्व व वर्त्तमान पदाधिकारी भी हैं.  क्षेत्र की जनता इन नेताओं की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है कि सभी मिलकर सरगुजा रेल विस्तार को मंजूरी दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

इस रेल लाइन विस्तार से जानिए क्या-क्या फायदा होगा

देश व प्रदेश की राजधानी समेत उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र तक सीधे रेलमार्ग द्वारा पहुंच :- अम्बिकापुर से रेनुकोट-चोपन होते हुए प्रयागराज (इलाहबाद) व बनारस से उत्तर भारत व राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्ग से जुडाव, साथ ही बनारस होते हुए पटना (बिहार) व पूर्वोत्तर भारत तथा रेनुकोट से गढ़वा (झारखंड) व सिंगरौली (मध्यप्रदेश) राज्य की ओर जाने वाली मुख्य मार्ग से सीधे पहुंच हो जाएगा. दूसरी ओर कोरबा होते हुए बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग मुख्य रेल मार्ग से उड़ीसा, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत तक सीधे पहुँच होगा. इस क्षेत्र में सफ़र करने वाले यात्रियों की संख्या काफी ज्यादा है, जिनमे सस्ते दरों में कम करने वाले मजदुर हों, नौकरीपेशा, व्यवसायी, पर्यटक समेत कई दशकों से रह रहे लोग शामिल है.

स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति

जनजातीय बहुल उत्तर छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा व बड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव है ऐसे में यह रेलवे लाइन क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. कुछ ही घंटो की दुरी पर एम्स (AIMS), बी.एच.यू(BHU), अपोलो (Apolo), पी.ज़ी.आई.(PGI) की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी, अभी इन जगहों तक सीधे जाने के लिए केवल व्यस्तम सड़क मार्ग है जिसकी दूरी घंटों लम्बी व आर्थिक रूप से महंगी है. तकनीकी व स्वास्थ्य शिक्षा, कानून व सिविल सेवा की तैयारी वाले उच्च शिक्षा के केंद्र दिल्ली, बनारस, इलाहबाद, पटना, रायपुर, बिलासपुर, भिलाई समेत उत्तर व दक्षिण भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्रों (IIT, AIMS, BHU, NIT, AU, DU) तक कम समय में आसान पहुँच हो जाएगी.

ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन केन्द्रों से जुड़ाव

भारत के ह्रदय में स्थित उत्तर छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से ही पर्यटन के दृष्टि से आकर्षण का केंद्र रहा है यह प्राकृतिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है. क्षेत्र में प्राचीन स्थल व मंदिर, दुर्लभ वन्यजीव, जल प्रपात, पर्वतीय पठार, गुफाएँ, राष्ट्रीय पार्क व अभ्यारण समेत सैकड़ों पर्यटन केंद्र हैं जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाने जाते हैं. इन जगहों को राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित होने का अवसर मिलेगा, साथ ही क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ साथ यहां के लोगों को व्यवसाय व रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. दूसरी ओर क्षेत्र के लोगों की धार्मिक व प्राचीन नगरी बनारस, अयोध्या, प्रयागराज, विन्ध्याचल, बोधगया, पटना, रतनपुर, भुवनेश्वर तक आसान पहुंच हो जाएगी.

उधोग, व्यापार, रोजगार का विकास

उधोग व व्यापार की दृष्टि से उत्तर छत्तीसगढ़ को कई बार टापू के रूप में माना जाता है, देश के प्रमुख नगरों से सीधे रेल सेवा न होने के करण उपेक्षित होना पड़ता है.  इस रेल लाइन विस्तार से नए उधोग व व्यापार का विकास होगा व प्रमुख औधोगिक केन्द्रों से सीधे जुड़ाव होगा, जिससे सरगुजा अंचल में भी बड़े उद्योगों की स्थापना हो सकेगी, क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ने के साथ साथ प्रतिभा पलायन कम होगा.  क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा.

प्राकृतिक संसाधनों के आवागमन की सुविधा

उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक खनिज कोयला व बाकसाईट मौजूद हैं. सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, बलरामपुर, जशपुर, कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़ से बड़ी मात्रा में देश के विभिन्न औधोगिक केंद्र व प्लांट में यहां से खनिज सड़क मार्ग द्वारा भेजा जाता है. रेलवे विस्तार होने से कम ख़र्च व समय में परिवहन होगा. अभी केवल एक ही ओर लाइन होने से रेलवे को इन क्षेत्रों से खनिज परिवहन द्वारा प्रतिदिन लाखों रूपए का किराया मिलता है, रेलवे विस्तार हो जाने से बड़ी मात्र में रेलवे को मुनाफा होगा.