बनारस से संदीप अखिल 
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से हम निकल पड़े थे मार्कण्डेय महादेव के दर्शन के लिए यह मंदिर बनारस से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित है.

मार्कण्डेय महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए बहुत खास माना जाता है. यह मंदिर वाराणसी (बनारस) गाजीपुर राजमार्ग पर कैथी गांव के पास है. राजवारी रेलवे स्टेशन से इस गांव की दूरी दो किलोमीटर है. मार्कण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है. विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपने दुःखों को दूर करने के लिए यहां आते हैं. यहां सावन में शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है और भगवान शिव दर्शन मात्र से ही सभी दुःख दूर होते हैं. अकाल मृत्यु सम्बंधी भय का निवारण भी हो जाता है.

श्री मार्कण्डेश्वर महादेव धाम यह पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में से एक है. हम कैथी के लिए जैसे मुड़े तो तपोभूमि की पावन ऊर्जा का हमें एहसास होने लगा. यह धाम आप को यह बताता है की आप निष्ठा के साथ समर्पित भाव से बिना भय के ईश्वर की शरण में है तो आप अपने भविष्य को बदल सकते हैं, जैसे मार्कण्डेय ऋषि ने किया था. हमें हर परिस्थितियों का निडरता से सामना करना चाहिए, मार्कण्डेय धाम में पंडित पंकज गिरी महाराज से हमारी मुलाकात हुई और उन्होनें इस धाम से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के बारे में हमको बताया. यह पुनीत धाम पूरे विश्व में विख्यात है, मार्कण्डेय महादेव के नाम से यह एक ऐसा मंदिर जहां यमराज भी पराजित हो गए थे. द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष वाले इस धाम की चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गई है.

गंगा-गोमती के पावन तट व गर्गाचार्य ऋषि के तपोस्थली पर अवस्थित मार्कण्डेय धाम आस्था का प्रतीक है. कहा जाता है कि मार्कण्डेय ऋषि अल्पायु थे. आयु की अवधि पूर्ण होने पर यमराज खुद उन्हें लेने आए थे. यह बात वो पहले ही अपनी माता जी से सुन चुके थे कि वो अल्पायु हैं. अपनी मृत्यु के बारे में जानकर वे विचलित नहीं हुए और शिव भक्ति में लीन हो गए. इस दौरान सप्तऋषियों की सहायता से ब्रह्मदेव से उनको महामृत्युंजय मंत्र की दीक्षा मिली. इस मंत्र का प्रभाव यह हुआ कि जब यमराज तय समय पर उनके प्राण हरने आए तो शिव भक्ति में लीन मार्कण्डेय ऋषि को बचाने के लिए स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्होंने यमराज के वार को बेअसर कर दिया. बालक उस समय भगवान भोलेनाथ ने अपने परम भक्त मार्कण्डेय ऋषि से कहा कि आज से जो भी श्रद्धालु या भक्त मेरे दर्शन को इस धाम में आएगा, वह पहले तुम्हारी पूजा करेगा, उसके बाद मेरी. तब से यह आस्थाधाम मार्कण्डेय महादेव के नाम से विख्यात हुआ.

पूर्वांचल व देश के हर भाग से आते हैं भक्त

पूर्वांचल के अलावा यहां देश के जीवन के लिए महा मृत्युंजय अनुष्ठान किया जाता है. हिंदू धर्म के पुराणों में बनारस के मार्कण्डेय ऋषि का पुराण सबसे उत्तम और प्राचनीतम माना जाता है. इस पुराण में ऋग्वेद की भांति अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की भी चर्चा है. भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में दुर्गासप्तशती की कथा एवं माहात्म्य, हरिश्चन्द्र की कथा, मदालसा-चरित्र, अत्रि-अनसूया की कथा, दत्तात्रेय-चरित्र आदि अनेक सुंदर कथाओं का विस्तृत वर्णन है. धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि अमर हैं. आठ अमर लोगों में मार्कण्डेय ऋषि को भी माना जाता है.

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