शिवम मिश्रा,रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में अदाणी फाउंडेशन की पहल से बच्चों के सपने साकार हो रहे हैं. बच्चों को नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक मंच मिल रहा है. अदाणी फाउंडेशन ने ग्रामीणों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है.
एक ओर जहां सरगुजा जिले की पुरुष और महिलाएं स्थानीय आजीविका की पहल से लाभ उठा रहें हैं. तो दूसरी ओर आदाणी फाउंडेशन का संकल्प प्रोजेक्ट ग्रामीण अंचल के बच्चों के लिए आशा की नई किरण बनकर उभरा है. आदिवासी क्षेत्र का एक मात्र संकल्प प्रोजेक्ट सरगुजा के भविष्य को नई दिशा दे रहा है.
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कब हुई थी अदाणी फाउंडेशन के प्रोजेक्ट की शुरूआत
सरगुजा जिले में अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से शैक्षणिक सत्र 2017-18 से संकल्प प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई. जिसके तहत कक्षा दसवीं और बारहवीं के छात्रों को अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे कठिन विषयों पर बोर्ड परीक्षा की तैयारी कराई जाती है. जिसके सुखद परिणाम भी सामने आए.
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200 से अधिक बच्चे हुए हैं लाभांवित
पिछले 4 सालों में सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्र में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट और पास होने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है. 4 सालों में 200 से अधिक बच्चे संकल्प प्रोजेक्ट से लाभान्वित हो चुके हैं. फाउंडेशन के इन प्रयासों ने देशभर में सरगुजा जिले को एक अलग पहचान दिलाई है. अदाणी फाउंडेशन की पहल से सरगुजा जिले को विकास और समृद्धि की नई दिशा दे रहा है.
सुबह-शाम 4 घंटे होती है पढ़ाई
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारा में लेक्चरर के पद पर पदस्थ चंद्रहास कुमार कोटा बताते हैं कि संकल्प प्रोजेक्ट अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से चलाया जा रहा है. 10वीं-12वीं के 6 विषयों को लेकर अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से यह लगातार चौथा वर्ष है. करीब 220 बच्चे इस प्रोजेक्ट के माध्यम से लाभान्वित हो चुके हैं. इस वर्ष भी हमारे प्रोजेक्ट में 80 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. सुबह 2 घंटे और शाम में 2 घंटे बच्चों का क्लास लिया जाता है.
क्लास का बच्चों को मिल रहा लाभ
चंद्रहास कुमार कोटा आगे बताते हैं कि फाउंडेशन की पहल से बोर्ड एग्जाम शुरू होने से 3 माह पहले ही कार्य शुरू हो जाता है. बोर्ड परीक्षा के 3 माह में लगभग कोर्स को एक नए तरीके से रिवीजन कराया जाता है. रिवीजन के लिए 3 माह का समय काफी होता है. बच्चों को पढ़ाई से पहले और पढ़ाई के बाद भी समय का लाभ मिलता है.
अदाणी फाउंडेशन के प्रोजेक्ट का मिल रहा लाभ
शिक्षक बेनी माधव जायसवाल बताते हैं कि तारा गांव सूरजपुर, सरगुजा और कोरबा जिले से लगा हुआ है. जिस कारण आस-पास के छात्रों को भी संकल्प प्रोजेक्ट का लाभ मिल रहा है. हमारा उद्देश्य यह है कि छात्रों को सुबह-शाम 2-2 घंटे पढ़ाया जाता है. संकल्प प्रोजेक्ट से बच्चों में काफी फर्क देखने को मिला है. बच्चों की पढ़ाई में रुचि भी बढ़ी है. उनके रिजल्ट में भी फर्क देखने को मिला है.
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