जगदलपुर। बस्तर में नक्सली अंदरूनी इलाकों में मौत का जाल बिछाकर रखे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने जांबाज जवानों को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया है, ताकि नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें, लेकिन कुछ अरसे से बस्तर के रखवाले लागातर आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. जवान डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर रहे हैं. मंगलवार को एक जवान ने फिर खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली.

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इंसास राइफल से खुद को गोली मारी

जानकारी के मुताबिक करनपुर में पुलिस के कंपनी कमांडर कुबेर सिंह ने अपने इंसास राइफल से खुद को गोली मारी है. इससे कंपनी कमांडर की मौके पर मौत हो गई. जवान CAF की 19वीं बटालियन का कंपनी कमांडर था. जानकारी के मुताबिक विभागीय जांच से परेशान होकर जवान ने खुद को गोली मारी है. फिलहाल जांच से परेशान होकर गोली मारने की पुष्टि नहीं है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक परेशान होकर जवान ने गोली मारी है.

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सीआरपीएफ के जवान ने खुद को मारी गोली, हुई मौत

9 अप्रैल को भी जवान ने की थी खुदकुशी

बता दें कि हाल ही में अंतागढ़ के कोयालीबेड में बीएसएफ जवान ने खुद को गोली मार ली थी. गोली लगते ही जवान की मौके पर ही मौत हो गई थी. घटना के बाद से बीएसएफ कैम्प में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था. एसडीओपी अन्तागढ़ कौशलेंद्र पटेल ने घटना की पुष्टि की थी.

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घटना अंतागढ़ के कोयलीबेड़ा इलाके की थी. जहां बीएसएफ के चौथी बटालियन के जवान प्रदीप शुक्ला ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. बीएसएफ कैम्प में अफरा-तफरी का माहौल था. नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसको लेकर पुलिस के द्वारा स्पंदन अभियान भी चलाया जा रहा है. लेकिन जवानो की आत्महत्या की घटना हो रही है.

डिप्रेशन का शिकार हो रहे जवान !

डिप्रेशन में जा रहे जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. 2019 में प्रदेश के 36 जवानों ने आत्महत्या की थी. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं.

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आखिर कब रुकेगा ये सिलसिला ?

अब सवाल ये उठता है कि नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान आखिर डिप्रेशन से क्यों जूझ रहे हैं. वे अपनी सर्विस राइफल से दुश्मन की जगह खुद को क्यों गोली मार रहे हैं. नक्सल मोर्च पर तैनात जवान अपने ही जान के पीछे पड़ गए हैं. जवानों की आत्महत्या का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. बस्तर के नक्सल इलाकों में तैनात जवान एक के बाद एक नक्सलियों को साफ करते जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनकी मौत टेंशन बनती जा रही है. आखिर कब रुकेगा ये सिलसिला ?

बड़ी बातें-

  • करनपुर में पुलिस के कंपनी कमांडर कुबेर सिंह ने खुद को मारी गोली
  • अपने ही इंसास राइफल से खुद को मारी गोली
  • कंपनी कमांडर की मौके पर मौत
  • सीएएफ की 19वीं बटालियन का था कंपनी कमांडर
  • विभागीय जांच से परेशान होकर खुद को गोली मारने की खबर

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