रायपुर। देशभर में लोग होम्योपैथिक चिकित्सा (आयुष मंत्रालय के एडवाइजरी के आधार पर) बतौर इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए उपयोग कर रहे हैं. जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाता है. वो ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाते हैं. बावजूद इसके घर आने पर लोगों को खांसी, कमजोरी और सांस की परेशानी हुई. ऐसे लोगों ने होम्योपैथी चिकित्सा अपनाकर काफी हद तक लाभ पाया. उनको परेशानी से निजात भी मिला है.

राजधानी रायपुर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. उत्कर्ष त्रिवेदी पिछले लंबे वक्त से होम्योपैथ की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्होंने सुझाव दिया है कि एलोपैथिक चिकित्सा के साथ बतौर इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट होम्योपैथिक चिकित्सा दिया जाए. ऐसे सभी मरीजों को जो कोविड पॉजिटिव हैं. अस्पताल में भर्ती हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की कमी हो रही है. उन्हें होम्योपैथिक दवाईयां दी जाती हैं, तो उन्हें काफी हद तक राहत मिल सकेगी.

कोरोना संक्रमण मरीज को दवा देने का आग्रह

डॉ. उत्कर्ष ने होम्योपैथी की तीन दवाइयां (आयुष मंत्रालय की जारी होम्योपैथी ट्रीटमेंट गाइडलाइन के आधार पर) सभी कोरोना मरीजों को (अस्पताल में भर्ती और होम क्वारंटाइन) एलोपैथी दवा के साथ दिलाने का आग्रह शासन-प्रशासन से किया है.

ये दवाईयां हैं

  • आर्सेनिक एल्बम- बतौर इम्युनिटी बूस्टर और कोरोना के भय को कम करता है.
  • ब्रायोनिया अल्बा- ड्राई कफ (सूखी खाँसी) के लिए.
  • कार्बो वेज- ऑक्सीजन सेचुरेशन, श्वास की परेशानी और अत्यधिक कमजोरी को कम करने के लिए.

इन दवाईयों को होम्योपैथिक चिकित्सकों (चिकित्सा अधिकारी) की देख-रेख में दिए जाए. जिससे बढ़ते कोरोना संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही अस्पतालों में लम्बे समय तक भर्ती रहने के कारण बेड की अनुपलब्धता और ऑक्सीजन की मांग के दबाव को भी कम किया जा सकेगा.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि मरीज डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन दवाओं का इस्तेमाल करें. जिससे उक्त दवा के साथ मरीज की तकलीफ के आधार पर दवा जोड़ी जा सके. जिससे उन्हें ज्यादा फायदा होगा. वे जल्द स्वस्थ्य हो जाएंगे. हालांकि इस दवा की पुष्टि लल्लूराम डॉट कॉम नहीं करता है. यह डॉक्टर के बताए अनुसार लिखा गया है.

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