कुमार इंदर, जबलपुर। 16 मार्च को बिजली टैरिफ पिटीशन पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी. जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को बिजली के दाम बढ़ाने के मामले पर लगभग तीन महीने बाद अपना आदेश सुना दिया है. साथ ही कोर्ट ने वित्तीय वर्ष 2021-22 की बिजली टैरिफ पिटीशन पर लगी रोक हटा ली. न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग दाम बढ़ाने और जनसुनवाई की जाए या नहीं इस पर फैसला लेने में सक्षम है. हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह नियामक आयोग के फैसले से असंतुष्ट होने पर अपीलीय अधिकरण के सामने अपील कर सकता है. हालांकि अब याचिका निरस्त होने पर प्रदेश में 6.25 फीसदी बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

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बता दें कि मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 2021-22 के लिए विद्युत दरों को लेकर मध्यप्रदेश राज्य नियामक आयोग की कार्यवाही पर रोक मामले पर सुनवाई की. टीकमगढ़ के वकील निर्मल लोहिया की याचिका पर हाईकोर्ट ने 16 मार्च को बिजली टैरिफ पिटीशन पर रोक लगाई थी. टैरिफ याचिका पर सुनवाई का मौका न दिए जाने की याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि मप्र ऊर्जा नियामक आयोग ने सुनवाई के लिए लोगों को मौका नहीं दिया. पिटीशन पर हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद बिजली दरों की वृद्धि का मामला भी अटक गया. अन्यथा इस बार आयोग की मंशा थी कि अप्रैल से पहले ही बिजली की नई दरें घोषित कर दी जाएं और बिजली कंपनियां अप्रैल से प्रदेश में नया टैरिफ लागू कर दें. क्योंकि पिछले तीन साल से अलग-अलग कारणों से बिजली दरें समय पर लागू नहीं हो पा रही है, इससे बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है.

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वहीं अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि याचिकाकर्ता यदि नियामक आयोग के आदेश से असंतुष्ट है तो अपीलीय अधिकरण के सामने अपील करे. साथ ही निर्देश दिए कि राज्य नियामक आयोग बिजली सम्बन्धी टैरिफ आदेश समय सीमा में पारित करे. हालांकि अब हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी का रास्ता साफ हो गया है. राज्य नियामक आयोग नई दरों को लेकर जल्द फैसला ले सकता है.

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